आरूषि मर्डर: 40 रुपये दिहाड़ी पर कैदियों का इलाज करते रहे तलवार दंपति, बच्चों को भी देते थे शिक्षा
बेटी आरुषि की हत्या के मामले में तलवार दंपति जेल में चार साल से कैदियों का दर्द दूर करने में जुटे थे। इसके लिए उन्हें रोज की महज 40 रुपये दिहाड़ी भी मिलती थी। इतना ही नहीं तलवार दंपति ने जेल में बंद...
बेटी आरुषि की हत्या के मामले में तलवार दंपति जेल में चार साल से कैदियों का दर्द दूर करने में जुटे थे। इसके लिए उन्हें रोज की महज 40 रुपये दिहाड़ी भी मिलती थी। इतना ही नहीं तलवार दंपति ने जेल में बंद हो चुके डेंटल विभाग को फिर से शुरू किया।
डासना जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि चार साल पहले जब तलवार दंपति जेल में आए तो हमने उनसे अनुरोध किया था कि वे कैदियों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराएं। उन्होंने कहा कि दांत की बीमारी को लेकर तमाम कैदियों की शिकायतें आ रही थीं और हमारा विभाग बंद होने की कगार पर था। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि हम उन्हें बाहर नहीं भेज सकते थे क्योंकि इसके लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती करनी होती थी।
अधिकारी ने बताया कि अब कोई भी कैदी दांतों के इलाज के लिए जेल से बाहर नहीं जाता है। अधिकारी के अनुसार, 'तलवार दंपति ने जब से कामकाज संभाला तब हमने कई नए उपकरण खरीदे। नुपूर तलवार महिला कैदियों का इलाज करती हैं तो राजेश तलवार पुरुष कैदियों का इलाज करते हैं। नूपूर तलवार चिकित्सा के अलावा बच्चों को पढ़ाने का भी काम करती हैं।'
फैसले से दम मिनट पहले भी मरीज देखा
गुरुवार को फैसले से दस मिनट पहले करीब ढाई बजे जेल क्लीनिक से संदेश आया कि एक बंदी के दांतों में दर्द है। इस संदेश के बाद तलवार क्लीनिक पर गए, बंदी मरीज को देखने और दवा देने के बाद तुरंत कॉमन रूम में लौटकर वह टीवी देखने लगे।
अदालती निर्णय सुनते ही गले मिलकर रोए
हाई कोर्ट के फैसले से पहले तलवार दंपति ने अपने बैरक में हनुमान चालीसा का पाठ किया और टेलीविजन पर नजर गड़ाए रखी। फैसला आने के बाद डासना जेल में बंद राजेश और नूपुर तलवार काफी भावुक हो गए। दोनों एक-दूसरे से गले मिलकर काफी रोए। फैसले के बाद नुपुर तलवार ने कहा- 'आखिर हमें इंसाफ मिल गया।’ फैसला आने से पहले डासना जेल में बंद तलवार दंपति की सांसें अटकी हुई थीं। दोनों ने सुबह के वक्त नाश्ता भी नहीं किया था।
वीआईपी कैदियों में उत्सुकता रही
जेल में जहां आम कैदियों में आरूषि फैसले को लेकर उत्सुकता थी, वहीं अन्य हाईप्रोफाइल कैदी भी बार-बार जेल अधिकारियों से पूछताछ कर रहे थे। जानकारी के मुताबिक जेल में मौजूद प्रदीप शुक्ला और नीरा यादव ने मामले की जानकारी ली। प्रदीप शुक्ला गुरुवार शाम को जेल से रिहा भी हो गए।