सेक्शन 377 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुन LGBT समुदाय की आखों में आए आंसू
समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के उच्चतम न्यायालय के बृहस्पतिवार को आए फैसले का एलजीबीटीक्यू समुदाय और अन्य ने स्वागत किया और कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले ने उन्हें एक मौलिक...
समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के उच्चतम न्यायालय के बृहस्पतिवार को आए फैसले का एलजीबीटीक्यू समुदाय और अन्य ने स्वागत किया और कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले ने उन्हें एक मौलिक मानवाधिकार उपलब्ध कराया है, लेकिन साथ ही यह भी माना कि पूर्ण समानता अभी कुछ दूर है।
सुप्रीम कर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने एकमत से 158 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के उस हिस्से को निरस्त कर दिया जिसके तहत परस्पर सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना अपराध था। कोर्ट ने कहा कि यह प्रावधान संविधान में प्रदत्त समता के अधिकार का उल्लंघन करता है। फैसले का एलजीबीटीक्यू समुदाय ने देशभर में स्वागत किया। उनकी आंखों में आंसू थे, वे एक-दूसरे से गले मिले और खुशी में नृत्य भी किया।
कार्यकर्ताओं, एलजीबीटीक्यू (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर) समुदाय, लेखकों और राजनीतिक नेताओं ने फैसले का स्वागत किया। एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ता अंजलि नाजिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आगे बड़े फैसलों को मार्ग प्रशस्त कर दिया है। उन्होंने पीटीआई से कहा, आज हमें एक मौलिक मानवाधिकार मिला है और हम बता नहीं सकते कि हम कितने खुश हैं। फैसले को ऐतहासिक करार देते हुए सोसाइटी फॉर पीपुल, अवेयरनेस, केयर एंड एम्पॉवरमेंट से संबद्ध अंजन जोशी ने कहा कि यह समानता के लिए उनके प्रयासों में मदद करेगा। जोशी ने कहा, यह एक शुरुआत है। हम जानते हैं कि हमें गोद लेने के अधिकार, शादी के अधिकार के लिए अभी काफी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन यह स्वागतयोग्य शुरुआत है। बहुत से कार्यकर्ताओं के लिए यह आने वाले अच्छे दिनों का संकेत हैं।
समलैंगिक समुदाय के एक सदस्य ने कहा कि फैसला आने में लंबा वक्त लगा है। मुझे अपनी लैंगिकता की वजह से 10 साल तक परेशानियों का सामना करना पड़ा है। उम्मीद है कि चीजें बदलेंगी। एलायंस इंडिया की सीईओ सोनल मेहता ने कहा कि यह प्यार और कानून के लिए जीत का दिन है। समलैंगिक कार्यकर्ता अर्पित भल्ला ने कहा, आखिर हम अपराधी नहीं हैं और अब इस अल्पसंख्यक समुदाय को एक पहचान मिल गई है।
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कांग्रेस ने ट्विटर पर पोस्ट कर फैसले का स्वागत किया। इसने 'इंटरसेक्स और एसेक्सुअलिटी को जोड़ते हुए कहा, हम पूर्वाग्रह पर जीत को लेकर भारत के लोगों और एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय के साथ हैं। हम सुप्रीम कोर्ट के प्रगतिशील और निर्णायक फैसले का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि यह अधिक समान एवं समावेशी समाज की एक शुरुआत है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन भाजपा सांसदों की निन्दा की जिन्होंने मुद्दे पर लोकसभा में उनका विरोध किया था।
थरूर ने ट्वीट किया, यह जानकर बहुत खुश हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने एकांत में यौन गतिविधियों को अपराध मानने के खिलाफ फैसला दिया है। यह निर्णय धारा 377 और निजता, गरिमा तथा संवैधानिक स्वतंत्रता के समान आधारों पर मेरे रुख का समर्थन करता है। यह उन भाजपा सांसदों के लिए शर्मनाक है जिन्होंने लोकसभा में मेरा विरोध किया था।
लेखक चेतन भगत ने कहा कि भारत विविधता को स्वीकार कर ही बचेगा और बढ़ेगा। उन्होंने कहा, भारत ऐसा देश है जहां हर 100 किलोमीटर पर संस्कृति बदल जाती है। विविधता को स्वीकार करना हर भारतीय का प्रमुख मूल्य होना चाहिए और स्पष्ट रूप से यह भारत के बचने तथा बढ़ने का एकमात्र मार्ग है। यह भारत के लिए एक अच्छा दिन है। कार्यकर्ता रितुपर्णा बोराह ने फैसले को मील का पत्थ्र करार दिया। उन्होंने कहा, ''लेकिन पुलिस हिंसा, गोद लेने का अधिकार और शादी का अधिकार जैसे मुद्दे अब भी शेष हैं।