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सुप्रीम कोर्ट जाएंगे या जेल? क्या करेंगे बिलकिस बानो के 11 दोषी, अब बचे बस ये रास्ते

Bilkis Bano Case: फिलहाल, 11 दोषियों के पास समीक्षा याचिका का रास्ता खुला है। सोमवार को आए फैसले के बाद सभी वे शीर्ष न्यायालय में 30 दिनों के अंदर समीक्षा याचिका दाखिल कर सकते हैं।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 9 Jan 2024 08:05 AM
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सुप्रीम कोर्ट जाएंगे या जेल? क्या करेंगे बिलकिस बानो के 11 दोषी, अब बचे बस ये रास्ते

बिलकिस बानो के दोषियों को फिर जेल जाना होगा। 21 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों की रिहाई के आदेश को खारिज कर दिया है। शीर्ष न्यायालय का कहना है कि गुजरात सरकार रिहाई के लिए सक्षम नहीं है। हालांकि, गुजरात सरकार ने अगस्त 2022 में इन लोगों को रिहा कर दिया था। अब सवाल है कि देश के शीर्ष न्यायालय की तरफ से सोमवार को जारी हुए आदेश के बाद 11 दोषियों के पास कौन से कानूनी रास्ते खुले हैं?

साल 2002 में हुए गुजरात दंगों के दौरान ये 11 लोग बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के दोषी पाए गए थे। गुजरात सरकार ने साल 1992 की नीति का हवाला देकर इन्हें रिहा कर दिया था। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को 2 सप्ताह में जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करने के लिए कहा है।

दोषियों के पास क्या रास्ता?
फिलहाल, 11 दोषियों के पास समीक्षा याचिका का रास्ता खुला है। सोमवार को आए फैसले के बाद सभी वे शीर्ष न्यायालय में 30 दिनों के अंदर समीक्षा याचिका दाखिल कर सकते हैं। हालांकि, यह भी साफ है कि सुप्रीम कोर्ट दाखिल होने वाली सभी समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करता है। खास बात है कि समीक्षा याचिका का दायरा फैसले को दौरान की गई गलती को सुधारने तक ही है।

तीन आधार पर दायर कर सकते हैं याचिका
अगर दोषी समीक्षा याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट जाना चाहते हैं, तो वे तीन आधार पर ऐसा कर सकते हैं। पहला, कोई नई जानकारी या सबूत मिला, जिसके बारे में व्यक्ति को जानकारी नहीं थी या वह आदेश जारी होने के समय उसे कोर्ट में पेश नहीं कर सका। दूसरा, रिकॉर्ड में दिखाई किसी गलती के कारण और तीसरा, कोई भी ऐसा पर्याप्त कारण जिसे कोर्ट सही मानता हो।

फिर से रिहाई होगी?
कहा जा रहा है कि दोषी कुछ समय जेल में गुजारने के बाद फिर से क्षमा के लिए आवेदन कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें महाराष्ट्र सरकार का दरवाजा खटखटाना होगा। सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिस राज्य में दोषियों पर मुकदमा चलाया गया और सजा सुनाई गई है, वह क्षमा याचिका पर फैसला ले सकता है।