Ayodhya Verdict Today:बाबर से लेकर मीर बाकी तक, जानिए कौन थे बाबरी मस्जिद के 3 अहम किरदार
Ayodhya Ram Mandir-Babri Masjid verdict: आज राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सर्वोच्च अदालत अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली है। लंबे समय से विवादों में रहे इस फैसले को देखते हुए देश भर में...
Ayodhya Ram Mandir-Babri Masjid verdict: आज राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सर्वोच्च अदालत अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली है। लंबे समय से विवादों में रहे इस फैसले को देखते हुए देश भर में सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विभिन्न धर्म गुरुओं ने लोगों से शांति बनाए रखने के साथ न्यायालय के फैसले का सम्मान करने की अपील की है। ऐसे में आज इस ऐतिहासिक फैसले के आने से पहले आपको बताते हैं बाबरी मस्जिद के उन 3 अहम किरदारों के बारे में जो उस समय बेहद सुर्खियों में रहे।
बाबर :
बाबर का पूरा नाम जहिर उद-दिन मुहम्मद बाबर था। बाबर दिल्ली का पहला मुगल बादशाह था। बाबर के ही राज में बाबरी मस्जिद का निर्माण हुआ था। बाबर का जन्म 1483 में हुआ था और महज 12 साल की उम्र में वह अपने पिता की जायदाद का वारिस बन गया था। 21 अप्रैल, 1526 को इब्राहिम लोदी को मारकर बाबर दिल्ली का शासक बना। अपने पिता की हत्या के बाद उसने रोजाना डायरी लिखना शुरू कर दिया था। यही वह डायरी है, जो पांच शताब्दी तक गुम रहने के बाद ‘बाबरनामा’ के रूप में सामने आई। इस डायरी का 18 साल का रेकॉर्ड नष्ट हो गया है, इसलिए इसमें बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं है।
मीर बाकी
‘मीर बाकी शिया समुदाय से था। उसने हिंदुओं की भावनाएं आहत करने के लिए मंदिरों के बीचोंबीच मस्जिद का निर्माण करवाया था। यह कहना गलत नहीं होगा कि उसने विवाद के बीज बोए थे। मीर बाबर का सेनापति था और बाबर के साथ ही भारत आया था। वह ताशकंद (मौजूदा समय में उजबेकिस्तान की राजधानी) का रहने वाला था। बाबर ने उसे अवध का गवर्नर बनाया था।
‘बाबरनामा’ ग्रंथ में मीर बाकी को बाकी ताशकंदी के नाम से भी बुलाया गया है। मस्जिद के शिलालेखों के अनुसार मुगल बादशाह बाबर के आदेश पर मीर बाकी ने सन 1528—29 में इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। माना जाता है कि मीर बाकी ने मस्जिद बनाने के लिए राम जन्म स्थान को चुना और मस्जिद बनाने के लिए उसने पहले से मौजूद राम मंदिर को तुड़वाया था।
एक और मीर बाकी
एक मीर बाकी और हैं। इन्हें लेकर एक दिलचस्प तथ्य और सामने आ चुका है। वह यह कि ये मीर बाकी बाबर का सेनापति नहीं, एक ठेकेदार था। यानी बाबरी मस्जिद से जुड़ा मीर बाकी नाम बाबर के सेनापति का नहीं है, बल्कि उसकी मरम्मत करनेवाले एक ठेकेदार का है। लेखक एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल ने अपनी पुस्तक ‘अयोध्या एब्यूज्ड बियांड एवीडेंस’ में इसका उल्लेख किया है।
इस पुस्तक में लेखक लिखते हैं कि 1934 में हुए एक सांप्रदायिक दंगे में मस्जिद को नुकसान पहुंचाया गया था। दंगे शांत होने के बाद इसके टूटे हुए हिस्से को फिर से बनाया गया। इस काम को करनेवाले ठेकेदार का नाम भी मीर बाकी था। ऐसी संभावना है कि मस्जिद का पुनर्निमाण करने के बाद उसने अपने नाम का पत्थर लगा दिया। और आगे चलकर लोगों ने इसे बाबर से जोड़ दिया। ‘बाबरनामा’ में मीर बाकी का कहीं उल्लेख ही नहीं है।