Hindi Newsदेश न्यूज़Supreme Court slams Centre for delaying international arbitration process with Reliance Industries and BP Exploration in KG basin - India Hindi News

'आसमान नहीं गिर जाएगा...' रिलायंस इंडस्ट्री से जुड़े केस में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार

बंगाल की खाड़ी में स्थित KG-D6 ब्लॉक के धीरूभाई-1 और 3 अन्य गैस क्षेत्रों से प्राकृतिक गैस का उत्पादन साल 2010 में यानी दूसरे वर्ष से ही कंपनी के अनुमानों से कम होना शुरू हो गया था।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 15 Dec 2022 08:33 AM
share Share

सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्री (RIL ) से जुड़े एक केस की त्वरित सुनवाई की अर्जी पर केंद्र सरकार को बुरी तरह फटकार लगाई है और कहा है कि इससे आसमान नहीं गिर जाएगा। दरअसल, कृष्णा-गोदावरी बेसिन के डी6 ब्लॉक में 400 मिलियन डॉलर के प्राकृतिक गैस की खोज से जुड़े रिलायंस इंडस्ट्रीज,बीपी एक्सप्लोरेशन और निको रिसोर्सेज के विवाद में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता कार्यवाही की शुरुआत होनी है लेकिन उससे पहले केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में घसीट लिया है।

RIL की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने CJI जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष RIL और दो विदेशी कंपनियों की तरफ से दायर उस याचिका का उल्लेख किया, जिसमें दिसंबर और जनवरी के लिए निर्धारित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को रोकने के लिए सरकार द्वारा अंतिम समय में उठाए गए कदम और रणनीति पर सवाल उठाया गया है।

साल्वे ने कहा कि यूके और ऑस्ट्रेलिया के दो मध्यस्थों के साथ-साथ विदेशी कंपनियों के विशेषज्ञ भारत में हैं, लेकिन सरकार द्वारा नामित मध्यस्थ पूर्व सीजेआई वीएन खरे उनके लिए ही मायावी साबित हो रहे हैं। इससे तो 11 साल पुराने विवाद के समाधान पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।

बंगाल की खाड़ी में स्थित KG-D6 ब्लॉक के धीरूभाई-1 और 3 अन्य गैस क्षेत्रों से प्राकृतिक गैस का उत्पादन 2010 में यानी दूसरे वर्ष से ही कंपनी के अनुमानों से कम होना शुरू हो गया था। इसके बाद इस क्षेत्र ने फरवरी 2020 में अपने अनुमानित अवधि से बहुत पहले ही उत्पादन करना बंद कर दिया।

सरकार ने इस घटना के लिए कंपनी पर अनुमोदित विकास योजना का पालन नहीं करने का आरोप लगाया और $3 बिलियन से अधिक की लागत को अस्वीकार कर दिया था। कंपनी ने इस पर आपत्ति जताई और सरकार को मध्यस्थता में घसीटा।

सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एके गांगुली ने कहा कि दोनों मध्यस्थों के खिलाफ सरकार के पक्षपातपूर्ण आरोप को खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ के फैसले के खिलाफ एक अपील उच्चतम न्यायालय में लंबित है। और अगर मध्यस्थता जनवरी या फरवरी के लिए पुनर्निर्धारित की जाती है तो "आसमान तो नहीं गिरेगा" लेकिन इसके बड़े पैमाने पर जनता पर गंभीर परिणाम होंगे।

इस पर CJI की पीठ ने कहा, "अगर इस तरह से सरकार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता को विफल करेगी तो आसामान गिर ही जाएगा। हम रो रहे हैं कि हमें भारत में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए वाणिज्यिक विवादों के समाधान को गति देने के लिए एक वैकल्पिक तंत्र के रूप में मध्यस्थता को प्रोत्साहित करना चाहिए लेकिन यह क्या है। क्या यह व्यापार उद्देश्यों के लिए विदेशी निवेशकों को भारत आने के लिए प्रोत्साहित करने का सही तरीका है?"

अगला लेखऐप पर पढ़ें