आप पत्रकारिता नहीं कर सकते, नियम पढ़ो; वकील पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, बृज भूषण से जुड़ा है मामला
बेंच ने इस मामले में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से अपीलकर्ता मोहम्मद कामरान के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई के संबंध में जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने एक वकील के बतौर पत्रकार काम करने पर सवाल उठाए हैं। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने मोहम्मद कमरान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में अपील की सुनवाई के दौरान कहा कि बार काउंसिल के नियम वकीलों को पत्रकारिता करने की इजाजत नहीं देते हैं। दरअसल न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को रद्द कर दिया गया था।
हालांकि न्यायालय ने अपील पर नोटिस जारी करने पर सहमति जताई लेकिन साथ ही यह सवाल भी उठाया कि अपीलकर्ता एक वकील और पत्रकार दोनों के रूप में कैसे काम कर रहा है। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, "मुझे आपका पेशेवर कदाचार समझ में नहीं आ रहा है। आप कहते हैं कि आप वकील होने के साथ-साथ पत्रकार भी हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम देखे हैं.. इस बारे में पूरी तरह से पाबंदी है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आप खुद को पत्रकार भी कह रहे हैं।"
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के नियम कहते हैं कि जो वकील राज्य बार काउंसिल में रजिस्टर है वह कोई अन्य रोजगार में शामिल नहीं हो सकता है। हालांकि वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम करता है। इस पर भी बेंच ने संदेह जाते हुए कहा कि क्या इसकी भी अनुमति है या नहीं।
बेंच ने इस मामले में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से अपीलकर्ता मोहम्मद कामरान के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई के संबंध में जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति ओका ने कहा, "अपील में नोटिस के अलावा हम यूपी बार काउंसिल और बीसीआई से भी जवाब मांगेंगे और उन्हें आपके खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई के बारे में बताना होगा। रजिस्ट्री इस आदेश की एक प्रति उपलब्ध कराएगी। कृपया इस तरह की कोशिश न करें। कहें कि आप या तो वकील हैं या पत्रकार।"
रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायालय भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख और पूर्व लोकसभा सांसद (एमपी) बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ मानहानि मामले की कार्यवाही को रद्द करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 12 मार्च के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रहा था। मानहानि का मामला सितंबर 2022 में बृज भूषण शरण सिंह द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को लिखे गए दो पत्रों से संबंधित है, जिसमें कहा गया था कि शिकायतकर्ता (मोहम्मद कामरान) के खिलाफ विभिन्न आपराधिक मामले लंबित हैं।
शिकायतकर्ता ने तर्क दिया कि बृज भूषण शरण सिंह ने उनकी छवि और प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और समाचार पत्रों पर अपना पत्र प्रसारित करके उन्हें साजिशकर्ता और चोर के रूप में संबोधित किया। बृज भूषण शरण सिंह वर्तमान में छह भारतीय पहलवानों द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर मुकदमे का सामना कर रहे हैं। 15 जून, 2023 को, पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354, 354 ए, 354 डी और 506 (1) के तहत अपराधों के लिए बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। शिकायतकर्ताओं ने पहले बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद, दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच चल रही है। बृज भूषण शरण सिंह ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष खुद को निर्दोष बताया है।