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'मौलाना' मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण देना कारसेवकों का अपमान, BJP पर भड़का उद्धव ठाकरे गुट

लेख में दक्षिणपंथी समूहों की ओर से लव-जिहाद के खिलाफ मार्च निकालने को लेकर भी भाजपा पर कटाक्ष किया गया है। इसमें कहा गया कि भाजपा को जब भी हार का झटका लगता है तो वह अपना तुरुप का पत्ता खेलती है।

Niteesh Kumar एजेंसी, मुंबईMon, 30 Jan 2023 01:12 PM
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शिवसेना (उद्धव गुट) ने समाजवादी पार्टी के दिवंगत संरक्षक मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण दिए जाने पर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में संपादकीय लिखकर इस फैसले के खिलाफ विरोध जताया है। लेख में कहा गया कि सपा के दिवंगत संरक्षक 'मौलाना' मुलायम सिंह को पद्म विभूषण से सम्मानित करना राम मंदिर आंदोलन के हजारों कारसेवकों के बलिदान का अपमान है। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने बीते बुधवार को घोषित पद्म पुरस्कारों के तहत पद्म विभूषण अवार्ड के लिए मुलायम के नाम का ऐलान किया था। इसके बाद सांसद डिंपल यादव और शिवपाल यादव समेत कई पार्टी नेताओं ने उन्हें देश के सर्वोच्च असैन्य सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग की। 

लेख में दक्षिणपंथी समूहों की ओर से लव-जिहाद के खिलाफ मार्च निकालने को लेकर भी भाजपा पर कटाक्ष किया गया है। इसमें कहा गया कि भाजपा को जब भी हार का झटका लगता है तो वह अपना तुरुप का पत्ता खेलती है। अब उन्होंने हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेलने का खेल शुरू कर दिया है। दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने रविवार को ‘लव जिहाद’ के खिलाफ मुंबई में ‘हिंदू जन आक्रोश मोर्चा’ निकाला। इस दौरान धर्मांतरण विरोधी कानून व धर्म के नाम पर जमीन कब्जाने वालों पर कार्रवाई की मांग की गई। रैली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) सहित कई संगठनों के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

'आखिर कैसे खतरे में है हिंदुत्व?'
सकल हिंदू समाज की ओर से आयोजित रैली दादर के शिवाजी पार्क से शुरू हुई, जहां पार्टी के यूबीटी धड़े का मुख्यालय शिवसेना भवन स्थित है। लेख में कहा गया, 'राज्य में और केंद्र में भी तथाकथित उग्र हिंदुत्ववादी सरकार है। फिर आपका (रैली निकालने वालों का) हिंदुत्व कैसे खतरे में है? केंद्र में मोदी-शाह के साथ, रामराज्य है और यह राज्य हिंदुओं के लिए स्वर्ग है... ऐसा उनके (भाजपा समर्थक) लोग कहते हैं। इसलिए यह आश्चर्य की बात है कि अब भी आक्रोश मोर्चा निकाला गया।'

'...यह हिंदुत्व के प्रति बेईमानी'
सामना में आगे कहा गया कि अगर केंद्र में मुस्लिम लीग (सत्तारूढ़) और महाराष्ट्र में अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) की सरकार होती तो ऐसा मोर्चा निकालना तार्किक होता। इसमें कहा गया, 'अगर लव-जिहाद या जबरन धर्मांतरण का सवाल है तो कड़ा कानून होना चाहिए। लेकिन जब भी चुनाव आते हैं तो भाजपा शासित राज्यों में हिंदुत्व खतरे में होने की बात होती है। अगर आक्रोश मोर्चा सिर्फ चुनाव के लिए है तो यह हिंदुत्व के प्रति बेईमानी है।'

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