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अभी और टूटेगी उद्धव सेना? राष्ट्रपति चुनाव को लेकर उठी आवाज, बड़े संकट का संकेत

उद्धव गुट में अभी और फूट पड़ सकती है। शिवसेना सांसद राहुल शेवाले ने उद्धव से आग्रह किया था कि पार्टी एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करे। इसके बाद कई तरह के दावे किए जा रहे हैं।

Ankit Ojha एजेंसियां, मुंबईThu, 7 July 2022 04:54 AM
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शिवसेना में बगावत के बाद महाराष्ट्र में सरकार बदल गई। उद्धव ठाकरे के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। अब सांसदों की ओर से भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना को चुनौती मिल सकती है। पार्टी के सांसद राहुल शेवाले ने उद्धव ठाकरे को पत्र देकर आग्रह किया कि पार्टी एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करे। इसके एक दिन बाद ही एक बागी विधायक ने दावा किया है कि शिवसेना के 18 में से 12 विधायक जल्द एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। 

अपने जलगांव विधानसभा क्षेत्र में ही पत्रकारों से बात करते हुए उद्धव सरकार में मंत्री रहे गुलाब राव ने कहा कि 55 में से 40 विधायक एकनाथ शिंदे के गुट में हैं। इसके अलावा 18 में से 12 सांसद भी हमारे साथ हैं। मैं खुद चार सांसदों से मिल चुका हूं। हमारे पास 22 पूर्व विधायक भी हैं। 

शेवाले ने दिया बाल ठाकरे का उदाहरण
बता दें कि शिवसेना सांसद शेवाले ने उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। उन्होंने उनको सौंपे पत्र में कहा था कि द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया जाए क्योंकि वह आदिवासी महिला हैं और उनका सामाजिक योगदान बहुत बड़ा है। उन्होंने उदाहरण भी दिया था कि कैसे बाल ठाकरे ने राजनीतिक मतभेद भुलाकर यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी और प्रतिभा देवी सिंह पाटिल का समर्थन किया था। 

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी इस बात के संकेत दिए थे कि अभी उद्धव सेना के और भी बागी नेता उनके गुट में आ सकते हैं। उन्होंने कहा था, 'बहुत सारे संसद सदस्य हैं जो कि नाखुश हैं। इसके अलावा जिला परिषद, पार्षद, ग्राम पंचायतों में भी लोग पार्टी से असंतुष्ट हैं।  जल्द ही ये लोग बड़ा फैसला ले सकते हैं।' शिंदे गुट को पूरा यकीन है कि शिवसेना में अभी बड़ी फूट होगी और हर स्तर पर नेता और कार्यकर्ता शिंदे गुट में ही आ मिलेंगे। 

वहीं उद्धव गुट के नेताओं ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि पार्टी में असंतोष है और इस समस्या से निपटने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाया जा रहा है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, समस्या यह है कि हम अपनी गलतियां मानने को तैयार नहीं हैं। जब तक कि हम आत्ममंथन नहीं करते और दिक्कत को चिह्नित नहीं करते तब तक हमारे ही सदस्य हमारे नहीं होंगे। समस्या की जड़ तक पहुंचने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। 

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