बाबा रामदेव की पतंजलि से SC जज ने पूछ लिए ऐसे सवाल, नहीं सूझा जवाब; बगलें झांकने लगे वकील
Baba Ramdev Patanjali Case: जस्टिस कोहली ने पूछा कि मध्यस्थों से अनुरोध किए जाने के बाद उन्होंने क्या किया? क्या उन्होंने वे सारे विज्ञापन हटा दिए है? पतंजलि के वकील इसका जवाब नहीं दे पाए।
Baba Ramdev Patanjali Case: बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापन के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट को पतंजलि आयुर्वेद ने बताया कि उसने उन 14 उत्पादों की बिक्री रोक दी है, जिनके निर्माण लाइसेंस उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने अप्रैल में सस्पेंड कर दिए थे। मामले की सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ कर रही थी। पीठ को पतंजलि आयुर्वेद ने बताया कि उसने 5,606 फ्रेंचाइजी स्टोर को इन उत्पादों को वापस लेने का निर्देश दिया है।
पतंजलि आयुर्वेद ने कहा कि मीडिया मंचों को भी इन 14 उत्पादों के सभी विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद जस्टिस कोहली ने पूछा कि क्या आपने सोशल मीडिया इंटरमीडियरी से इसे हटाने को कहा है और क्या सोशल मीडिया पर से आपके सभी विज्ञापन हट गए हैं। इस पर पतंजलि के वकील ने कहा कि सभी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया को निर्देश भेज दिया गया है कि वे हमारे विज्ञापन न दिखाएं।
इसके बाद जस्टिस कोहली ने फिर पूछा कि क्या सोशल मीडिया पर से ये सब हटाए गए हैं। कोर्ट ने पतंजलि से पूछा कि क्या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पहले से मौजूद विज्ञापनों को हटा दिया गया है। जस्टिस कोहली ने पूछा, "मध्यस्थों से अनुरोध किए जाने के बाद उन्होंने क्या किया? क्या उन्होंने वे सारे विज्ञापन हटा दिए है? आपने तो उनसे अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने क्या किया? इस पर आपके पास कुछ सबूत हैं? कोई जवाब है?"
जस्टिस कोहली के इन सवालों का पतंजलि के वकील के पास कोई जवाब नहीं था। पतंजलि के वकील इस पर चुप हो गए और बगलें झाकने लगे। तब जस्टिस कोहली ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी और पतंजलि आयुर्वेद को दो हफ्ते के भीतर एक हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि क्या विज्ञापन हटाने के लिए सोशल मीडिया मंचों से किए गए अनुरोध पर अमल किया गया है और क्या इन 14 उत्पादों के विज्ञापन वापस ले लिए गए हैं। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की।
शीर्ष अदालत भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें पतंजलि पर कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने न्यायालय को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के निर्माण लाइसेंस को ‘तत्काल प्रभाव से निलंबित’ कर दिया गया है। सर्वोच्च अदालत ने भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। (भाषा इनपुट्स के साथ)