Hindi Newsदेश न्यूज़sarojini nagar assembly seat swati singh and daya shankar singh setback - India Hindi News

सरोजनी नगर सीट: स्वाति और दयाशंकर के झगड़े में ED के पूर्व अफसर के हाथ लगा भाजपा का टिकट

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से 17 उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी की गई है। इस लिस्ट में लखनऊ की भी 9 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया गया है। चर्चा से अलग कई नामों का...

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान , लखनऊTue, 1 Feb 2022 10:56 PM
share Share

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से 17 उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी की गई है। इस लिस्ट में लखनऊ की भी 9 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया गया है। चर्चा से अलग कई नामों का ऐलान कर भाजपा ने चौंका दिया है। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा सरोजिनी नगर सीट की हो रही है। यहां से अब तक विधायक और योगी सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्वाति सिंह का पत्ता काट दिया गया है। उन्होंने 2017 में इस सीट पर जीत हासिल की थी। इसी सीट से उनके पति दयाशंकर सिंह भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे। दोनों ने ही विधानसभा में पोस्टर लगवाए थे और लगातार स्वाति सिंह जिस तरह से लोगों के बीच थीं, उससे माना जा रहा था कि वह अपने दावेदारी को लेकर आश्वस्त हैं।

लेकिन पार्टी ने नया दांव चला है और ईडी के अधिकारी रहे राजेश्वर सिंह को यहां से मैदान में उतारा है। कुछ वक्त पहले ही राजेश्वर सिंह ने ईडी से रिटायरमेंट लिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। बीटेक और पुलिस, मानवाधिकार व सामाजिक न्याय में पीएचडी सिंह उत्तर प्रदेश से प्रतिनियुक्ति पर ईडी से साल 2009 में जुड़े थे। तब वह राज्य पुलिस सेवा अधिकारी के तौर पर सेवा दे रहे थे। राजेश्वर सिंह यूपी के ही सुल्तानपुर जिले के रहने वाले हैं। ईडी के अधिकारी के तौर पर उन्होंने कई अहम मामलों की जांच संभाली थी। उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेलों में अनियमितता जैसे हाई प्रोफाइल केसों की जांच की थी।

बता दें कि स्वाति सिंह का सियासी सितारा अचानक ही 2016 में उस दौर में चमका था, जब उनके पति दयाशंकर सिंह ने मायावती के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया था। तब बसपा इस मसले पर आक्रामक हो गई थी। मायावती ने दिल्ली में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। वहीं नसीमुद्दीन सिद्दीकी के नेतृत्व में बसपा के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन किया, लेकिन दयाशंकर की बेटी के खिलाफ विवादित नारे लगे और यह बात बसपा के ही खिलाफ हो गई। स्वाति सिंह ने मोर्चा संभाला और उलटे बसपा को ही बैकफुट पर आना पड़ा।

 

माना जाता है कि स्वाति सिंह का यह रवैया भाजपा नेताओं को अच्छा लगा और उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया गया। उन्हें पार्टी के महिला मोर्चे का अध्यक्ष बनाया गया। यही नहीं बाद में उन्हें 2017 में टिकट भी दिया गया। वह बड़े अंतर से जीतीं और फिर मंत्री भी बनीं। लेकिन कई बार वह विवादों में रहीं। इसके अलावा पति दयाशंकर से भी उनके रिश्ते ठीक नहीं रहे। यहां तक कि इस बार चुनाव से पहले दोनों ही सरोजिनी नगर से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। कहा जा रहा है कि स्वाति के विवादों में रहने और पति-पत्नी दोनों के दावों के बीच पड़ने की बजाय भाजपा ने तीसरे व्यक्ति यानी राजेश्वर सिंह पर ही दांव लगाना सही समझा।

अगला लेखऐप पर पढ़ें