उन्नाव कांड: दुष्कर्म का दंश और दहशत में जीती ये बेटियां
उन्नाव की पीड़िता को इंसाफ की आस जगी है लेकिन तमाम बेटियां ऐसी हैं जो दुष्कर्म का दंश झेलने और दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं। यूपी-बिहार की ये कुछ घटनाएं पीड़िताओं की मनोदशा को तीन अलग तरह से...
उन्नाव की पीड़िता को इंसाफ की आस जगी है लेकिन तमाम बेटियां ऐसी हैं जो दुष्कर्म का दंश झेलने और दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं। यूपी-बिहार की ये कुछ घटनाएं पीड़िताओं की मनोदशा को तीन अलग तरह से प्रतिबिंबित करती हैं। कैसे उनके लिए फिर सामान्य जीवन जी पाना आसान नहीं रह जाता।
1. बाराबंकी- दुष्कर्म की घटनाओं ने मासूमों को ऐसा डरा दिया है कि उन्हें सुरक्षा का खतरा सताता रहता है। शायद तभी यहां स्कूल में बुधवार को बालिका सुरक्षा कार्यक्रम में एक छात्रा पूछ बैठी कि शिकायत के बाद क्या वह सुरक्षित रहेगी। पुलिस अफसर यह सुनकर निरुत्तर हो गए कि आपके कहे मुताबिक हमारे साथ कुछ गलत हो तो टोल फ्री नंबर पर फोन कर पुलिस को सूचना दें पर जिसकी शिकायत कर रहे हैं, उसे पता चल गया और उसने एक्सीडेंट करा दिया तो क्या होगा?.
2. पटना- खगड़िया के संहौली में 13 वर्षीया किशोरी का घर आने-जाने वाले एक अंकल ने अपहरण कर तीन महीने दुष्कर्म किया। किशोरी गर्भवती हुई तो घर लाकर छोड़ दिया। कैमूर और सीतामढ़ी में भी ऐसे दो मामले सामने आए हैं जिसमें पीड़ित बच्चियां गर्भवती हो गईं और समय ज्यादा होने से उनका गर्भपात नहीं हो सकता। ऐसे मामलों में अनचाहे बच्चे की मां बनना मजबूरी बन जाता है। राज्य में पिछले साल दो पीड़िताएं मां बन भी चुकी हैं। .
3. आगरा- शाहगंज में एक युवती दुष्कर्म की शिकायत लेकर पहुंची तो मामला दर्ज करने की बजाय पुलिसवाले उससे पूछने लगे कि क्या-क्या हुआ तुम्हारे साथ। तुम्हारे कपड़े कितनी बार उतारे गए। नतीजा, पीड़िता लड़ाई लड़ने से पहले ही हताश होकर बैठ गई। ऐसे संवेदनहीन रवैये के कारण आगरा के एत्माद्दौला में हाल में एक पीड़िता ने अपनी जान दे दी थी। तमाम थानों में यही हाल है जबकि नियमानुसार थानों में ऐसे सवाल किए ही नहीं जा सकते।.