नई पार्टी का ऐलान या किसी और दल में खोजेंगे सम्मान, रामपुर गंवाकर क्या करेंगे आजम खान
उत्तरप्रदेश के रसूखदारों में से एक खान परिवार भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद एक के बाद एक झटके झेल रहा है। कानूनी मुकदमों से लेकर राजनीतिक उठा पटक ने खान की राह मुश्किल कर दी हैं।
उत्तर प्रदेश की रामपुर विधानसभा सीट पर 'कमल' खिल गया है। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने यहां बड़ी जीत दर्ज की। इस हार के साथ ही समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान के राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं। यह उपचुनाव उनकी प्रतिष्ठा का भी माना जा रहा था, क्योंकि वे 10 बार यहां चुनाव जीत चुके हैं।
क्या क्षेत्र और मुस्लिम समुदाय में असर गंवाते जा रहे हैं खान
उत्तरप्रदेश के रसूखदारों में से एक खान परिवार भाजपा के सत्ता में आने के बाद एक के बाद एक झटके झेल रहा है। कानूनी मुकदमों से लेकर राजनीतिक उठा पटक ने खान की राह मुश्किल कर दी हैं। खुद उनकी पार्टी में ही शंकाएं उठने लगी हैं कि सपा के दिग्गज में अपनी पुरानी बात रह गई है या नहीं?
बीते कुछ समय से खान का असर कम होता दिख रहा है। कहा जा रहा है कि रामपुर लोकसभा उपचुनाव में आसिम की हार से संकेत मिलते हैं कि रामपुर पर खान की पकड़ पहले की तरह मजबूत नहीं रही। वहीं, उनके स्वास्थ्य और मुलायम सिंह यादव के निधन ने भी उनकी परेशानियों में इजाफा किया है। अब संभावनाएं जताई जा रही हैं कि 'नेताजी' के निधन के बाद पार्टी में उनका दबदबा कम हो सकता है।
ताजा उपचुनाव में भी उनके करीबी आसिम रजा हारे हैं। इससे पहले रामपुर लोकसभा चुनाव में भी सपा का यही हाल हुआ था। इसके बाद समुदाय में भी उनके प्रभाव को लेकर सवाल उठ रहे हैं। खान के खिलाफ शिकायत करने वालों में कई मुस्लिम समुदाय से ही आते हैं।
पार्टी नेता नाराज, क्या नई दल बनाएंगे खान?
अप्रैल में ही सपा के एक और दिग्गज शफीकुर रहमान बर्क ने पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए और मुस्लिम समुदाय को नजरअंदाज करने के आरोप लगाए थे। साथ ही उन्होंने कहा था कि आजम खान को लेकर भी पार्टी मोहभंग सामने आ रहा है।
रामपुर में खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान शानू ने कहा था, 'उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी सही थी कि अखिलेश यादव नहीं चाहते कि आजम खान बाहर आएं। हमने आपकों और मुलायम यादव को उत्तर प्रदेश का सीएम बनाया, लेकिन आपने आजम खान को विपक्ष का नेता नहीं बनाया। आप केवल एक बार ही उनसे जेल में मुलाकात करने गए।'
अप्रैल में रामपुर में हुई एक बैठक के दौरान अटकलें लगाई जाने लगी थी कि वह सपा छोड़ सकते हैं और अपनी पार्टी की शुरुआत कर सकते हैं। उस दौरान उनके समर्थक खान के प्रति पार्टी के व्यवहार पर दुखी थे।
भाजपा और मुसलमान पर क्या बोले?
उन्होंने कहा था कि वह खुश हैं कि भाजपा कम से कम चीजें बदल रही है। उन्होंने कहा था कि अब बात मु्स्लिम तुष्टिकरण पर आ गई है और मैं उन्हें इसके लिए बधआई देता हूं। खान ने कहा था कि अगर वे सभी मुसलमानों के बारे में सोचने लगें, तो और भी अच्छा होगा। हालांकि, बातचीत के दौरान उन्होंने सवाल भी उठाए थे कि बड़े मुस्लिम अपराधी भाजपा में शामिल हो गए हैं।