क्या अदालत को भी जेब में रखना चाहती है कांग्रेस, राहुल को सजा के बाद खूब बरसी भाजपा
राहुल गांधी को दो साल की सजा देने वाले सूरत कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाने पर भाजपा ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि क्या कांग्रेस के लोग अदालतों को भी जेब में रखना चाहते हैं।
मोदी सरनेम पर आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने के मामले में राहुल गांधी को सूरत की सेशंस कोर्ट से दो साल की सजा हुई है। इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमें तो पहले से ही पता था कि ऐसा होगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में बार-बार जज बदला जा रहा था। इससे पता था कि ऐसा ही होगा। अब इस पर भाजपा ने तीखा पलटवार किया है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने मीडिया से बातचीत में कहा कि क्या कांग्रेस अदालत को भी अपनी जेब में रखना चाहती है। खड़गे जी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष हैं और उन्हें जिम्मेदारी से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जज को बार-बार बदला गया।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आखिर वह कहना क्या चाहते हैं। उनकी यह टिप्पणी अदालत की अवमानना का मामला है। राहुल गांधी ने एक सरनेम को बदनाम किया था। वह देश और देश की जनता को भी अपमानित करना चाहते हैं। राहुल गांधी ने भारत के लोकतंत्र का अपमान पहली बार नहीं किया है। उनको वोट नहीं मिलता है तो हम क्या करें। अभी असम, नागालैंड और मेघालय में हारे तो फिर कहने लगे कि लोकतंत्र खतरे में है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सत्य का मतलब किसी को जातिसूचक गाली देना है क्या? क्या सत्य अहिंसा का मतलब किसी का अपमान करना है।
भाजपा नेता ने राहुल गांधी के पेगासस समेत कई मसलों पर दिए बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि हर मामले में वह ऐसा ही करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी तो चुनाव को लेकर कह चुके हैं कि सद्दाम हुसैन और गद्दाफी जैसे लोग भी चुनाव जीत जाते थे। यदि उन्हें ऐसा रास्ता सही लगता है तो उसी पर आगे बढ़ सकते हैं। आप गाली देंगे, देश की सेना का अपमान करेंगे और शहीदों का मजाक बनाएंगे। जनता के वोट का अपमान करेंगे और फिर कहेंगे कि सत्य और अहिंसा के पुजारी हैं। ऐसा कैसे चलेगा।
राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने की भी दिलाई याद
आप सभी को याद होगा कि राहुल गांधी ने मनमोहन सरकार में एक अध्यादेश फाड़ दिया था। कैबिनेट से पास अध्यादेश को इस तरह से फाड़ना कौन सी समझदारी थी। कांग्रेस का यह लोकतंत्र है कि अदालत, मीडिया सब उनके हिसाब से चलें तो ठीक है। वरना वे कह देंगे कि लोकतंत्र ही खतरे में है। उन्होंने कहा कि हम आलोचना का सम्मान करते हैं, लेकिन अनर्गल बातें करना ठीक नहीं है।
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