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एससी-एसटी को प्रमोशन में आरक्षण मिलेगा, लेकिन नियमों में नहीं होगी ढिलाई: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी वर्ग के लोगों को प्रमोशन में आरक्षण (Reservation in Promotion) दिया जा सकता है, लेकिन ये आरक्षण सेवा में पोस्ट/पद विशेष के लिए होगा। पूरी सेवा...

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली।Sat, 29 Jan 2022 12:39 AM
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी वर्ग के लोगों को प्रमोशन में आरक्षण (Reservation in Promotion) दिया जा सकता है, लेकिन ये आरक्षण सेवा में पोस्ट/पद विशेष के लिए होगा। पूरी सेवा या वर्ग या समूह के लिए नहीं। मतलब यह कि प्रमोशन में आरक्षण मिलेगा, लेकिन उसे देने के नियम जो एम. नगराज फैसले में तय किए थे उनमें कोई ढिलाई नहीं होगी।

जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने शुक्रवार को फैसला देते हुए कहा कि सरकार को आरक्षित वर्ग विशेष के पिछड़ेपन के मात्रात्मक आंकड़े जुटाने ही होंगे और इन आंकड़ों के आधार पर ही प्रमोशन में आरक्षण दिया जा सकेगा। आरक्षित वर्ग का उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व कितना है और कितना नहीं यह पोस्ट/पदों के हिसाब से तय होगा। यह नहीं कि पूरी सेवा/वर्ग/समूह में उसका प्रतिनिधित्व देखा जाए।

कोर्ट ने कहा कि बीके पवित्रा-2 फैसले में जो कहा गया है कि पूरी सेवा/काडर में समुचित पिछड़ेपन का प्रतिनिधित्व देखा जाएगा, वह गलत है। यह एम नगराज फैसले (2006) के विरुद्ध है। न्यायालय ने कहा कि हम इस मुद्दे पर नहीं जा रहे हैं कि प्रतिनिधित्व कितना होगा, कैसे निर्धारित किया जाएगा और उसके मापदंड क्या होंगे, उसकी पर्याप्तता/समुचितता कैसे आंकलित या तय की जाएगी। यह केंद्र सरकार का काम है और सरकार प्रतिनिधित्व पर्याप्तता देखने के लिए आवधिक रूप से इसकी समीक्षा करेगी। समीक्षा की अवधि मुनासिब और तार्किक रखी जाएगी।

फैसला सुरक्षित रखा
पीठ ने कहा कि सरकारी आरक्षण नीतियों की वैधता और अवमानना याचिकाओं के मुख्य मुद्दे पर 24 फरवरी से सुनवाई होगी। 26 अक्तूबर, 2021 को जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने मामले में अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल, एएसजी बलबीर सिंह और विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ वकीलों सहित सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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