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कौन है पुंछ हमले को अंजाम देने वाला PAFF, पाकिस्तान से मिलती है आतंक की खुराक

सबसे पहले इस आतंकी संगठन का नाम साल 2019 में खबरों में आया था। यही वह साल था जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी। आतंकी संगठन को जैश ए मोहम्मद के छद्म रूप के तौर पर खड़ा किया गया है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 22 Dec 2023 02:01 PM
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जम्मू कश्मीर में पुंछ में हुए आतंकी हमले में पांच जवान शहीद हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी पीएएफएफ ने ली है। इसका फुल फॉर्म पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट है। इस आतंकी संगठन की जड़ें पाकिस्तान में हैं और इसे आतंक की खुराक भी वहीं से मिलती है। सबसे पहले इस आतंकी संगठन का नाम साल 2019 में खबरों में आया था। यही वह साल था जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी। इस आतंकी संगठन को जैश ए मोहम्मद के छद्म रूप के तौर पर खड़ा किया गया है।

2019 से सक्रिय
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक पीएएफएफ के पीछे पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई है। हाल के महीनों में जम्मू कश्मीर में जितने भी आतंकी हमले हुए हैं, उन सभी की जिम्मेदारी इसी ने ली है। इंटेलीजेंस एजेंसियों के हवाले से बताया गया है कि राजौरी और पुंछ में सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए आईएसआई ने ट्रेनिंग देकर आतंकियों को भेजा है। जानकारी के मुताबिक यह आतंकी संगठन किसी भी हमले से पहले काफी प्लानिंग करते हैं। इतना ही नहीं, यह आतंकी जवानों की तरह हेलमेट कैमरा भी पहनते हैं। इसके अलावा साल 2019 के बाद से हर आतंकी हमले की रिकॉर्डिंग भी की जाती है।

अभी तक के कुछ खास हमले
अगर जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमलों में पीएएफएफ की भूमिका तलाशी जाए तो साल 2021 के जून महीने में भाजपा नेता राकेश पंडिता की हत्या में इसी संगठन की भूमिका थी। इसके बाद उसी साल 11 अगस्त को अगस्त को राजौरी में सेना पर हमले को भी अंजाम दिया। फिर 11 अक्टूबर को पुंछ जिले के मेंढार में भारतीय जवानों पर इसी संगठन ने हमला किया था, जिसमें नौ जवान शहीद हो गएथे। इसके बाद तीन अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (जेल) हेमंत लोहिया की उनके घर में घुसकर हत्या कर दी गई थी।

रखी जा रही नजर
गौरतलब है कि पुंंछ में गुरुवार को सुरनकोट थाना क्षेत्र में ढेरा की गली और बुफलियाज के बीच धत्यार मोड़ पर अपराह्न करीब पौने चार बजे हमला किया गया। अधिकारियों ने बताया कि ढेरा की गली (डीकेजी) रोड को यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। सेना और पुलिस के शीर्ष अधिकारी जमीनी हालात पर नजर बनाए हुए हैं।  माना जा रहा है कि तीन से चार की संख्या में आतंकवादियों ने पहाड़ों से सेना के वाहनों को निशाना बनाने के लिए इस क्षेत्र को चुना।

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