36 राउंड फायरिंग, दो ग्रेनेड, स्टिकी बम; बेहद घातक था पुंछ में सेना के ट्रक पर हमला
पुंछ में भारतीय सेना के वाहन पर हुए हमले को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। जानकारी के मुताबिक आतंकियों ने इस हमले के लिए बेहद घातक रणनीति बनाई थी। हमले के लिए दो एके-47 बंदूकों से 36 राउंड गोलीबारी हुई थी।
पुंछ में भारतीय सेना के वाहन पर हुए हमले को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। जानकारी के मुताबिक आतंकियों ने इस हमले के लिए बेहद घातक रणनीति बनाई थी। हमले के लिए दो एके-47 बंदूकों से 36 राउंड गोलीबारी की गई थी। सिर्फ इतना ही नहीं, बताया यह भी जा रहा है कि इस हमले में चीन में बने हथियारों का भी इस्तेमाल किया गया है। गौरतलब है इस हमले में भारतीय सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे।
खराब मौसम बना आतंकियों का मददगार
सेना के अधिकारियों के मुताबिक आतंकियों ने यह हमला पूरी तरह से योजना बनाकर अंजाम दिया। बताया जाता है कि आतंकियों ने खराब मौसम, ओलावृष्टि और घने जंगल के चलते आतंकियों को यहां से भागने में मदद मिली। यह भी आशंका जताई जा रही है कि हमलावरों को स्थानीय सपोर्ट भी मिला है, जिससे उन्हें इस जगह के बारे में पता चला, जहां सेना का यह वाहन धीमा हो जाता था। अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक रिपोर्ट में संकेत मिला है कि हमले में भाड़े के विदेशी लड़ाकों सहित करीब पांच आतंकवादी शामिल थे। घात लगाकर हमला करने के बाद, आतंकवादियों ने संभवतः ग्रेनेड के साथ-साथ 'स्टिकी बम' का इस्तेमाल किया जिससे वाहन में आग लग गई। जानकारी के मुताबिक यह ग्रेनेड चीन में बना हुआ था।
ऐसे दिया हमले को अंजाम
इसके अलावा आतंकवादियों ने बख्तरबंद ढाल को भेदने में सक्षम स्टील कोर गोलियों का इस्तेमाल किया और सैनिकों के हथियार लेकर फरार हो गए। आतंकियों का पता लगाने के लिए जारी अभियान के बीच अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि एक हमलावर ने ट्रक को आगे से निशाना बनाया, जबकि दूसरी ओर से अन्य आतंकियों ने गोलियां चलाई और ग्रेनेड फेंके। आर्मी ट्रक के तीन तरफ गोलियों के निशाना मिले हैं। इससे जाहिर होता है कि हमला करते वक्त आतंकी भी मूवमेंट कर रहे थे। आतंकियों ने इस हमले में जिस गोली का इस्तेमाल किया था उसकी पहचान आर्मर पियर्सिंग 7.62एमएम स्टील कोर बुलेट के रूप में हुई है। ट्रक पर जो दो ग्रेनेड फेंके गए थे, उनमें से एक पेट्रोल टैंक पर गिरा। अनुमान है कि इसके बाद भी ट्रक में आग नहीं लगी, जिसके बाद आतंकियों ने स्टिकी बॉम्ब का इस्तेमाल किया।
लगातार चल रही है जांच
अधिकारियों ने कहा कि एनएसजी एनआईए सहित विभिन्न एजेंसियों के विशेषज्ञों ने पिछले दो दिनों में घटनास्थल का दौरा किया है। इस दौरान घातक हमले की सटीक जानकारी पाने की कोशिश की है। जिस क्षेत्र में हमला हुआ, उसे लंबे समय तक आतंकवाद मुक्त माना जाता रहा है, लेकिन भाटा धुरियान वन क्षेत्र आतंकवादियों के लिए घुसपैठ का मार्ग बना हुआ है। यहां से आतंकी भौगोलिक स्थिति, घने जंगल का फायदा उठाते हुए एलओसी को पार करके भारत में घुसने का प्रयास करते हैं। अक्टूबर 2021 में, एक तलाश अभियान के दौरान भाटा धूरियान वन क्षेत्र में चार दिन के भीतर आतंकवादियों के साथ हुई दो बड़ी मुठभेड़ों में नौ सैनिक मारे गए थे। यह तलाश अभियान तीन सप्ताह से अधिक समय तक जारी रहा था, जिसमें आतंकवादियों का कोई पता नहीं चला था।