'एक के बदले एक' का क्या है फॉर्मूला, जिसे नीतीश ने किया है पेश; नरेंद्र मोदी से मुकाबले का प्लान
नीतीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी से मुकाबले एक लिए एक फॉर्मूला पेश किया है। इसके तहत विपक्ष हर सीट पर भाजपा के मुकाबले एक साझा उम्मीदवार उतारने की रणनीति पर काम करेगा।

नीतीश कुमार इन दिनों दिल्ली में हैं। बुधवार को उन्होंने राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की और इस दौरान तेजस्वी यादव भी उनके साथ थे। यही नहीं शाम को वह दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से भी जा मिले। इसके बाद से ही चर्चा है कि आखिर नीतीश कुमार का प्लान क्या है। इस पर नीतीश के करीबियों का कहना है कि वह 2024 के लिए बड़ी विपक्षी एकता के सूत्रधार बनना चाहते हैं। बुधवार को हुई मीटिंग में एक तरफ यह चर्चा हुई कि कांग्रेस अपनी विचारधारा से तालमेल बिठाएगी तो वहीं नीतीश कुमार उन दलों को साथ लाएंगे, जो कांग्रेस और भाजपा दोनों से समान दूरी रखते रहे हैं।
इसी रणनीति के तहत नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की, जो भाजपा पर तीखे हमले तो बोल ही रहे हैं। कांग्रेस से भी दूरी बरतते रहे हैं। कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे, झामुमो और शरद पवार की एनसीपी को जोड़ने का जिम्मा लिया है। वहीं नीतीश कुमार को ममता बनर्जी, के. चंद्रशेखर राव और वामपंथी दलों को साथ लाने का जिम्मा मिला है। जेडीयू इसे ही नीतीश फॉर्मूला कह रही है। इसका शुरुआती रुझान कल शाम को दिखा भी। अरविंद केजरीवाल ने नीतीश से मीटिंग के बाद कहा, 'मैं उनके साथ हूं। यह बहुत जरूरी है कि विपक्ष एकसाथ आए और केंद्र में सरकार बदले।'
1977 और 1989 में भी अपनाया जा चुका है यही फॉर्मूला
नीतीश कुमार का जो फॉर्मूला है, उसके तहत विपक्ष की यह प्लानिंग है कि भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ एक साझा कैंडिडेट दिया जाए। जेडीयू के सीनियर नेता ने इस पॉलिसी की पुष्टि करते हुए कहा, 'नरेंद्र मोदी के खिलाफ 2024 में जीत का एक ही तरीका है कि एक सीट से एक कैंडिडेट ही उतारा जाए।' उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा कि 1977 और 1989 में भी इसी फॉर्मूले से विपक्ष ने जीत हासिल की थी। हालांकि दोनों ही बार कांग्रेस पार्टी को दो से तीन साल के अंदर वापस सत्ता मिल गई थी।
PM के चेहरे पर क्यों चुप हैं नीतीश कुमार और विपक्ष
कांग्रेस और जेडीयू के सूत्रों का कहना है कि फिलहाल यही प्लान है कि साझा कैंडिडेट दिए जाएं। सबको साथ लाया जाए और चेहरे पर बात न हो। यही वजह है कि राहुल गांधी के साथ बैठकर भी नीतीश कुमार ने पीएम के चेहरे पर कुछ नहीं कहा। यही नहीं अरविंद केजरीवाल के सामने मीडिया ने जब यही सवाल पूछा तो नीतीश कुमार ने आगे बढ़कर रोक दिया। साफ है कि विपक्ष किसी चेहरे पर तैयार नहीं है और कोई एक पार्टी भी मोदी या भाजपा के मुकाबले में सक्षम नहीं है। यही वजह है कि एक सीट एक कैंडिडेट का फॉर्मूला ही सबसे मुफीद बैठ रहा है।