दिग्विजय सिंह के साथ मंच पर दिखे नितिन गडकरी, किस बात पर की खूब तारीफ
नितिन गडकरी ने दिग्विजय सिंह की पंढरपुर की धार्मिक यात्रा में शामिल होने के लिए सराहना भी की। पंढरपुर में भगवान विट्ठल और देवी रुक्मिणी के मंदिर हैं और दिग्विजय सिंह हर साल यहां आते हैं।

महाराष्ट्र के पुणे में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कांगेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह एक मंच पर नजर आए। इस मौके पर नितिन गडकरी ने दिग्विजय सिंह की पंढरपुर की धार्मिक यात्रा में शामिल होने के लिए सराहना भी की। सोलापुर जिले के पंढरपुर में भगवान विट्ठल और देवी रुक्मिणी के मंदिर हैं और दिग्विजय सिंह हर साल यहां 'आषाढ़ी एकादशी' के दिन पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। भगवान विठ्ठल के श्रद्धालु वारकरी कहलाते हैं। ये लोग राज्य के अलग-अलग हिस्सों से निकाली जाने वाली शोभायात्रा में भाग लेते हैं। यह यात्रा 'आषाढ़ी एकादशी' के मौके पर पंढरपुर शहर में संपन्न होती है।
गडकरी और सिंह कांग्रेस के दिवंगत नेता रामकृष्ण मोरे पर एक पुस्तक के विमोचन के लिए गुरुवार को पिंपरी चिंचवाड़ में मौजूद थे। इस मौके पर गडकरी ने प्रति वर्ष आषाढ़ी एकादशी पर पंढरपुर आने के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की सराहना की। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा, ‘मैं आपसे छोटा हूं लेकिन मुझ में वैसा साहस (पैदल चलने का) नहीं है। लेकिन आप इतना पैदल चलते हैं (धार्मिक यात्रा के दौरान)...मैं आपको बधाई देता हूं।' इसके जवाब में सिंह ने कहा कि गडकरी को भी प्रयास करना चाहिए ताकि वह नियमित तौर पर इसमें भाग ले सके।
गौरतलब है कि गडकरी ने 2018 में दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का एक मामला वापस ले लिया था क्योंकि उन्होंने अपने बयान पर खेद व्यक्त किया था। दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में मामले को वापस लेने के लिए संयुक्त याचिका दाखिल की गई थी। गडकरी ने कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितताओं में उनका नाम घसीटने के आरोप में 2012 में सिंह के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था। गडकरी ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार 12,000 करोड़ रुपये की लागत से पालकी मार्ग विकसित कर रही है। मंत्री ने कहा कि उन्होंने अभियंताओं से सड़क के साथ वाली जमीन पर घास उगाने को कहा है ताकि वारकरी यात्रा के दौरान उस घास पर चल सकें।
महाराष्ट्र की राजनीति की तारीफ- यहां मतभेद हैं, पर कड़वाहट नहीं
नितिन गडकरी ने इस मौके पर महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति ऐसी है कि यहां पार्टियों के बीच मतभिन्नता होती है, लेकिन रिश्तों में कड़वाहट नहीं आने दी जाती। उन्होंने कहा, 'आपकी राय अलग-अलग हो सकती है। लेकिन मनभिन्नता नहीं होनी चाहिए। इसका सबसे अच्छा उदाहरण महाराष्ट्र की राजनीति है।'
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