पेपर लीक तो हुआ है, पता करें कितने 'मुन्ना भाई' थे; NEET पर और सख्त सुप्रीम कोर्ट
NEET-UG Exam: याचिकाओं में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) की 5 मई को हुई परीक्षा में गड़बड़ी और कदाचार का आरोप लगाते हुए इसे फिर से आयोजित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गय
NEET-UG Exam: सुप्रीम कोर्ट ने विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट-यूजी’ 2024 को रद्द करने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सख्त रूप अपनाया है और सरकार से यह पता करने को कहा है कि पेपर लीक से कितनों को फायदा हुआ है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले में दायर कुल 38 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि पेपर तो लीक हुए हैं, हम इससे इनकार नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि हम लीक की प्रकृति पर विचार कर रहे हैं।
सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने सख्त रुख अपनाया और कहा, "पेपर लीक पर विवाद नहीं किया जा सकता। हम इसके परिणामों पर भी विचार कर रहे हैं। हम एक आदर्श दुनिया में नहीं रहते हैं, लेकिन दोबारा परीक्षा पर निर्णय लेने से पहले हमें हर पहलू पर गौर करना होगा क्योंकि हम जानते हैं कि हम 23 लाख छात्रों के भविष्य की बात कर रहे हैं।"
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई गुरुवार, 11 जुलाई को करेगा। कोर्ट ने बुधवार (10 जुलाई) की शाम 5 बजे तक एनटीए, केंद्र सरकार और सीबीआई को मामले में हलफनामा पेश करने को कहा है। कोर्ट ने एनटीए से उन उम्मीदवारों की पहचान करने को कहा है जिन्हें नीट-यूजी पेपर लीक से फायदा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से उन केंद्रों/शहरों की पहचान करने को भी कहा है जहां पेपर लीक हुआ है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि गलत कृत्य करने वाले कितने छात्रों के परिणाम रोके गए हैं। कोर्ट ने कहा कि हम ऐसे लाभार्थियों का भौगोलिक विवरण जानना चाहते हैं। सीजेआई ने पूछा कि मान लें कि सरकार परीक्षा रद्द नहीं करेगी, लेकिन पेपर लीक करने वालों की पहचान करने के लिए क्या करेगी? क्योंकि जो हुआ उसे हमें नकारना नहीं चाहिए।
CJI ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि हमारी साइबर फोरेंसिक टीम के पास किस तरह की टेकनोलॉजी है। क्या हम सभी संदिग्धों का एक डेटा तैयार नहीं कर सकते? इस परीक्षा में जो हुआ, वह आगे नहीं हो, क्या हम इसके लिए कदम नहीं उठा सकते? CJI ने कहा कि अगर परीक्षा की पवित्रता खत्म हो जाती है, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा। यदि दागी और बेदाग को अलग करना संभव नहीं है, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना ही होगा। सीजेआई ने यह भी कहा कि अगर पेपर लीक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है, तो यह जंगल में आग की तरह फैल सकता है और बड़े पैमाने पर लीक हुआ हो सकता है।
कोर्ट ने कहा कि हम पूरी प्रक्रिया जानना चाहते हैं। दूसरी मामले में दर्ज एफआईआर की प्रकृति और पेपर लीक कैसे फैला इसकी भी जानकारी चाहते हैं। सीजेआई ने पूछा कि केंद्र और एनटीए ने गलत काम करने वालों की पहचान करने के लिए अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की कि जिस किसी ने भी परीक्षा के नियमों का उल्लंघन किया है, उसे वहां रहने का कोई अधिकार नहीं है। हम जानना चाहते हैं कि सरकार ने इस बावत क्या कदम उठाए हैं।
इन याचिकाओं में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) की पांच मई को हुई परीक्षा में गड़बड़ी और कदाचार का आरोप लगाया गया था और इसे रद्द कर फिर से आयोजित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने शुक्रवार को न्यायालय में कहा था कि गोपनीयता भंग होने के किसी साक्ष्य के बिना इस परीक्षा को रद्द करने का बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों पर ‘‘गंभीर असर’’ पड़ सकता है।
इसके साथ ही कोर्ट ने NTA को परीक्षा रद्द करने से रोकने का अनुरोध करने वाली गुजरात के 50 से अधिक सफल परीक्षार्थियों की याचिका पर भी सुनवाई की। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए नीट-यूजी का आयोजन करती है। इस साल पांच मई को यह परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें 571 शहरों के 4,750 परीक्षा केंद्रों पर लगभग 23 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे।
प्रश्न पत्र लीक समेत अनियमितताओं के आरोपों को लेकर कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए तथा विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाया। परीक्षा में गड़बड़ी के संबंध में अदालतों में भी कई मामले दायर किए गए।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और एनटीए ने उन याचिकाओं का विरोध करते हुए अलग-अलग हलफनामे दाखिल किए हैं, जिनमें विवादों में रही इस परीक्षा को रद्द करने, दोबारा परीक्षा कराने और अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई है। उन्होंने अपने जवाब में कहा कि देश की प्रमुख जांच एजेंसी सीबीआई ने विभिन्न राज्यों में दर्ज मामलों को अपने हाथ में ले लिया है।