मुलायम सिंह यादव का यह ऑफर ठुकराने पर आज भी पछताते हैं कम्युनिस्ट, ज्योति बसु ने मानी थी गलती
मुलायम सिंह यादव ने 1996 में ज्योति बसु को संयुक्त मोर्चा की सरकार का प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, बसु शीर्ष पद पर काबिज नहीं हो पाए क्योंकि उनकी पार्टी सीपीएम ही इसके खिलाफ थी।

समाजवादी पार्टी के मुखिया भले ही उत्तर प्रदेश के सियासी अखाड़े के पहलवान थे, लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में भी अकसर उनके दांव पासा पलटते थे। ऐसा ही एक प्रस्ताव उन्होंने 1996 में दिया था, जिसकी आज भी चर्चाएं होती हैं और कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम आज भी उसे अपनी गलती मानती है। दरअसल मुलायम सिंह यादव ने 1996 में ज्योति बसु को संयुक्त मोर्चा की सरकार का प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, बसु शीर्ष पद पर काबिज नहीं हो पाए क्योंकि उनकी पार्टी सीपीएम ही इसके खिलाफ थी।
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वरिष्ठ मार्क्सवादी नेता ने बाद में संयुक्त मोर्चा सरकार का हिस्सा न बनने के पार्टी के फैसले को ‘ऐतिहासिक भूल’ माना था। सपा के उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने कहा कि शुरुआत में 13 दलों के गठबंधन संयुक्त मोर्चा के प्रधानमंत्री पद के लिए वीपी सिंह का नाम सामने आया था। लेकिन वी पी सिंह ने इस पेशकश को ठुकरा दिया था। सपा संस्थापक यादव के करीबी सहयोगी रहे नंदा ने कहा, ‘मुलायम सिंह यादव ने तब कहा था कि ज्योति बसु को प्रधानमंत्री होना चाहिए। वह (यादव) और मैं बंग भवन (दिल्ली) गए और बसु को प्रस्ताव दिया।’
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मुलायम के प्रस्ताव पर सब थे राजी, पर कम्युनिस्टों में ही हुए मतभेद
पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री ने याद किया कि बसु ने उनसे कहा था कि वह प्रधानमंत्री कैसे बन सकते हैं क्योंकि वाम दलों के पास 545 सदस्यीय लोकसभा में पर्याप्त संख्या बल नहीं है। नंदा ने कहा, ‘हमने उनसे (बसु से) कहा था कि आप बस हमारे प्रस्ताव पर हामी भर दीजिए।’ उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्होंने विभिन्न दलों के वरिष्ठ नेताओं हरकिशन सिंह सुरजीत, एच डी देवेगौड़ा, रामकृष्ण हेगड़े, बीजू पटनायक और लालू प्रसाद से इस प्रस्ताव को लेकर मुलाकात की तथा वे सभी मान गए थे।
फिर मुलायम के हाथ भी नहीं आया था पीएम का पद
नंदा ने कहा, ‘यह पूरी पहल मुलायम सिंह ने की थी।’ नंदा ने कहा कि पार्टी से अनुमति न मिलने के बाद बसु ने सुझाव दिया था कि यादव को प्रधानमंत्री बनाया जाए। उन्होंने कहा, ‘लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से कुछ वजहों से मुलायम सिंह यादव प्रधानमंत्री नहीं बन पाए।’
कोलकाता से मुलायम का था करीबी रिश्ता, 5 बार हुआ सम्मेलन
उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव का कोलकाता से करीबी नाता था और समाजवादी पार्टी ने 1992 में अपनी स्थापना के बाद से पांच बार शहर में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की। राज्य में वाम मोर्चा की सरकार में मंत्री रहे नंदा ने कहा, ‘उनके (यादव) ज्योति बसु से निजी संबंध थे और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री उन्हें बहुत पसंद करते थे।’ यादव के लंबे समय तक करीबी रहे दिवंगत अमर सिंह भी कोलकाता से थे।
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