mulayam singh yadav last rites lakhs of peoles in safai akhilesh yadav - India Hindi News मुलायम सिंह यादव की विदाई की बेला, सैफई में मेला... कैसी है अंतिम संस्कार की तैयारी, India Hindi News - Hindustan
Hindi NewsIndia Newsmulayam singh yadav last rites lakhs of peoles in safai akhilesh yadav - India Hindi News

मुलायम सिंह यादव की विदाई की बेला, सैफई में मेला... कैसी है अंतिम संस्कार की तैयारी

मुलायम सिंह यादव गांव में पंचतत्व में विलीन होने वाले हैं। इसे संयोग ही कहेंगे कि किशोरावस्था के दिनों में वह सैफई के जिस मेलाग्राउंड में अखाड़े में पहलवानी करते थे, वहीं उनका अंतिम संस्कार होना है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, सैफईTue, 11 Oct 2022 01:45 PM
share Share
Follow Us on
मुलायम सिंह यादव की विदाई की बेला, सैफई में मेला... कैसी है अंतिम संस्कार की तैयारी

मुलायम सिंह यादव ने राजनीति के अखाड़े में बहुत ऊंचाई हासिल की, लेकिन उनका अपने पैतृक गांव सैफई से कभी लगाव खत्म नहीं हुआ। होली, दिवाली जैसे अहम पर्वों पर वह गांव जरूर जाते थे और लोगों से उनका कनेक्ट ऐसा था कि सभी से मुलाकात करते थे और समस्याओं को सुनते थे। शायद यही वजह है कि मुलायम सिंह यादव धरतीपुत्र कहलाए। जिस गांव में जन्म लिया, उससे खभी दूर नहीं हो सके। यही नहीं अब वह उसी गांव में पंचतत्व में विलीन होने वाले हैं। इसे भी संयोग ही कहेंगे कि किशोरावस्था के दिनों में वह सैफई के जिस मेलाग्राउंड में अखाड़े में पहलवानी करते थे, वहीं उनका अंतिम संस्कार होना है। यह जमीनी व्यक्तित्व ही शायद मुलायम सिंह यादव होने का अर्थ है। 

क्या शिवपाल के खिलाफ भी मुलायम ने चला चरखा दांव? क्यों होती है चर्चा

मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया, लेकिन दूसरे दलों के नेताओं से इतना बैर भी नहीं रखा कि निजी रिश्तों में खटास आए। मुलायम सिंह यादव कठोर फैसले लेने वाले नेता था, लेकिन राजनीतिक सहयोगियों के प्रति नरम ही रहे। व्यक्तित्व ऐसा था कि हर कोई यह मानता था कि वह मुलायम सिंह यादव के करीब है। एक साथ परस्पर विरोधियों को लेकर चलना और मतभेदों के बीच भी राह निकालना उनके लिए बाएं हाथ का खेल था। यही वजह है कि भाजपा, कांग्रेस, एनसीपी समेत तमाम दलों के नेता उनके अंतिम संस्कार में उमड़े हैं। खुद होम मिनिस्टर अमित शाह अस्पताल में उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे और पीएम ने भी भावुक अंदाज में उन्हें याद किया।

आखिरी दर्शनों के लिए लोग पेड़ों तक पर चढ़े

सपा संस्थापक का दोपहर 3 बजे अंतिम संस्कार होना है और उससे पहले लोग अंतिम संस्कार के लिए उमड़ रहे हैं। प्रदेश और देश के तमाम बड़े नेताओं के अलावा दूर-दूर से आम लोगों का भी हुजूम उमड़ रहा है। उनके शव को मेला ग्राउंड परिसर में रखा गया है, जहां हजारों लोग जुटे हैं। सैफई में वाहनों को खड़ा करने तक की जगह नहीं बची है। गांव को जाने वाली सड़कों पर जाम की स्थिति है। यूं लगता है कि मानो हर बाइक, कार या कोई भी साधन नेताजी को श्रद्धांजलि देने वालों को ले जा रहा है। मुलायम सिंह यादव का शव जब सैफई पहुंचा तो हर आंख नम थी। नेताजी के आखिरी दर्शनों के लिए लोग पेड़ों तक पर बैठे थे ताकि देखने में परेशानी न हो। बहुत से लोग तो नेताजी के पार्थिव शरीर को ले जा रही गाड़ी को छूना भर चाहते थे। 

सैफई में गूंजते रहे नेताजी अमर रहें के नारे

हवा में देर तक नेताजी अमर रहें, अमर रहें के नारे देर तक गूंजते रहे। मुलायम सिंह यादव की कोठी पर शव पहुंचा तो परिवार के सभी सदस्य दिन भर उनके चरणों के पास बैठे रहे। देर रात जब आजम खान बेटे संग पहुंचे तो अखिलेश यादव, डिंपल और धर्मेंद यादव समेत परिवार के सभी सदस्यों की भावनाओं का ज्वार फट पड़ा, जिसे उन्होंने दिन भर साधे रखा था। अब घड़ी नेताजी के अंतिम संस्कार की है और उससे पहले हर कोई उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देना चाहता है। सैफई में भावनाएं उफान पर हैं और बादल भी शायद धरती पुत्र के लिए गम को देखते हुए टिप-टिप बरस रहे हैं।

रातोंरात अंतिम संस्कार के लिए बना चबूतरा

मुलायम सिंह यादव के अंतिम संस्कार के लिए तैयारियां किस कदर की गई है, इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि रातोंरात मेला ग्राउंड पर एक चबूतरा बना दिया गया। बारिश के बीच ही रात से ही सैकड़ों लोग लगे रहे और एक ऊंचा सा चबूतरा बना दिया गया, जिसमें अंतिम संस्कार किया जा सके। इसी ग्राउंड में कभी सैफई महोत्सव का मेला लगता था और आज वहीं पर धरतीपुत्र की विदाई का मेला लगा गया है। 

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।