हिंदुत्ववादियों ने शिवाजी को भगवान बनाया, पादरी के बयान पर भड़के लोग; गिरफ्तारी की मांग
पादरी ने आगे कहा, "हमें अपने हिंदू भाइयों से संवाद करना होगा और उनसे पूछना होगा: क्या शिवाजी आपके भगवान हैं? या एक राष्ट्रीय नायक। यदि वह राष्ट्रीय नायक हैं, तो ऐसा ही रहने दीजिए।"
शिवाजी पर विवादित टिप्पणी करने को लेकर गोवा के एक पादरी की गिरफ्तारी की मांग तेज हो गई है। लगभग 150-200 शिव प्रेमियों की भीड़ बंदरगाह शहर वास्को डी गामा में पुलिस स्टेशन के बाहर एकत्र हुई और शिवाजी के संबंध में की गई टिप्पणियों पर कैथोलिक पादरी और सामाजिक प्रचारक बोलमैक्स परेरा की गिरफ्तारी की मांग की। पादरी ने एक धार्मिक उत्सव के दौरान शिवाजी पर विवादित टिप्पणी की थी। पुलिस ने गुरुवार शाम को दर्ज की गई एक शिकायत के आधार पर फादर परेरा पर धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर किए गए कृत्य) और धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज किया है। इसके बावजूद भीड़ ने विरोध खत्म करने से इनकार कर दिया।
वास्को के पुलिस इंस्पेक्टर कपिल नायक ने कहा, "एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच अब शुरू होगी।" सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में, कैथोलिक पादरी ने कहा था कि मराठा योद्धा शिवाजी एक 'राष्ट्रीय नायक' थे लेकिन "कुछ लोगों ने उन्हें भगवान बना दिया था।" उन्होंने कहा, “कुछ लोग ऐसे हैं जिनके लिए शिवाजी भगवान बन गए हैं। शिवाजी कोई भगवान नहीं हैं। हां, वह एक राष्ट्रीय नायक है। हमें उनका आदर और सम्मान करना होगा। उन्होंने जो किया है, अपने लोगों की रक्षा के लिए जो लड़ाई लड़ी है, उन सबके लिए वह सम्मान के पात्र हैं। वह एक नायक है, लेकिन भगवान नहीं। लेकिन आज हिंदुत्ववादियों ने आगे आकर उन्हें भगवान बना दिया है।"
पादरी ने आगे कहा, "हमें अपने हिंदू भाइयों से संवाद करना होगा और उनसे पूछना होगा: क्या शिवाजी आपके भगवान हैं? या एक राष्ट्रीय नायक। यदि वह राष्ट्रीय नायक हैं, तो ऐसा ही रहने दीजिए। उन्हें भगवान मत बनाओ। हमें उनके नजरिए को समझने की जरूरत है। अगर हम डर में रहेंगे, तो हम फिर से उठ नहीं पाएंगे।''
बाद में पुजारी ने भावनाएं आहत होने पर माफी मांगी और कहा कि उनकी टिप्पणियों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि उपदेश के दौरान महान राष्ट्रीय नायक और बहादुर योद्धा का उल्लेख करने का उद्देश्य और इरादा भक्तों और दर्शकों को यह बताना था कि छत्रपति शिवाजी महाराज धर्म, जाति, पंथ, भाषा आदि से ऊपर उठकर देश और विदेश में लोगों द्वारा पूजनीय थे और इसलिए उन्हें केवल एक धर्म के लिए जिम्मेदार ठहराने से अन्य धर्म के लोगों के बीच उनका कद और महानता कम हो जाएगी।
एक बयान में, पुजारी ने यह जानकर हैरानी व्यक्त की कि उनके उपदेश को चुनिंदा रूप से गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने कहा कि उनके बयान का एक हिस्सा नहीं दिखाया गया जिसमें उन्होंने शिवाजी की वीरता और बहादुरी की प्रशंसा की थी। उन्होंने अपने लोगों और अपने राज्य की रक्षा की और दुश्मन के खिलाफ खड़े हुए। उन्होंने अपने बयान में कहा, ‘‘उपदेश के दौरान महान राष्ट्रीय नायक और बहादुर योद्धा का उल्लेख करने का उद्देश्य यह बताना था कि छत्रपति शिवाजी महाराज धर्म, जाति, पंथ और भाषाओं से परे हैं देश और विदेश के सभी लोगों के लिए पूजनीय हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए उन्हें (छत्रपति शिवाजी) सिर्फ एक धर्म का कहने से अन्य धर्म के लोगों के बीच उनकी महानता कम होगी।’’ पादरी ने कहा, ‘‘ मैं यह जानकर हैरान हूं कि मेरे उपदेश की ‘चुनिंदा बात को पेश किया’और बयान का केवल एक हिस्सा दिखाया गया, जबकि दूसरे हिस्से में शिवाजी महाराज की वीरता की प्रशंसा की गई थी।’’