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MCD Results 2022: दिल्ली-पंजाब-MCD में केजरीवाल का बजा डंका, अब 24 में दिखाएंगे दम? कांग्रेस के लिए कैसे खतरे की घंटी

MCD Election Results 2022, AAP Seats: पिछले दस सालों में केजरीवाल की पार्टी ने दिल्ली में तीन बार सरकार बनाई, जबकि पंजाब में इसी साल भारी बहुमत हासिल करते हुए सत्ता पर काबिज हो गई।

Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 7 Dec 2022 12:25 PM
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MCD Results 2022: दिल्ली नगर निगम चुनाव (MCD) में आम आदमी पार्टी ने 15 सालों से सत्ता पर काबिज बीजेपी को हरा दिया है। रुझानों में बहुमत हासिल करने के बाद अब फाइनल नतीजों में भी 'आप' ने एमसीडी में जीत हासिल कर ली है। हालांकि, अभी फाइनल आंकड़े आने बाकी हैं। 250 वार्ड वाली एमसीडी में केजरीवाल की पार्टी अब तक 130 से अधिक सीटों पर कब्जा जमा चुकी है, जबकि बीजेपी ने भी 100 का आंकड़ा पार कर लिया है। अन्ना आंदोलन के बाद साल 2012 में बनी आम आदमी पार्टी ने महज दस सालों में ही कई झंडे गाड़े हैं। अन्य क्षेत्रीय दलों को पिछाड़ते हुए 'आप' अब राष्ट्रीय पार्टी बनने की ओर तेजी से बढ़ रही है। पिछले दस सालों में केजरीवाल की पार्टी ने दिल्ली में तीन बार सरकार बनाई, जबकि पंजाब में इसी साल भारी बहुमत हासिल करते हुए सत्ता पर काबिज हो गई। वहीं, उत्तराखंड, गोवा, यूपी, गुजरात जैसे कई राज्यों में भी पार्टी ने चुनाव लड़कर कार्यकर्ताओं का एक अच्छा खासा बेस बना लिया है। विभिन्न चुनावों में तेजी से सफलता हासिल करती आम आदमी पार्टी की अब नजर साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर होगी। राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि पार्टी पिछले कुछ नतीजों से काफी उत्साहित है और वह आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को टक्कर देने के पूरे मूड में होगी।

विधानसभा, एमसीडी में जीत के बाद अब आप का अगला फोकस क्या?
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह से हार मिलने के बाद आम आदमी पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए पूरा फोकस राष्ट्रीय राजनीति से हटाकर राज्य की राजनीति तक सीमित कर लिया था। साल 2015 में पहले दिल्ली में दूसरी बार सरकार बनाई, फिर साल 2017 में पंजाब में बड़ी सफलता तब मिली, जब पार्टी 20 सीटों को जीतकर मुख्य विपक्षी दल बन गई। फिर साल 2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव और साल 2022 के पंजाब चुनाव में बड़ी जीत हासिल कर पार्टी ने अपना दम दिखा दिया। वहीं, विभिन्न एग्जिट पोल्स की मानें तो गुजरात में कल आने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों में भी आम आदमी पार्टी 15-20 फीसदी तक के वोट हासिल कर सकती है। यदि नतीजों में भी ऐसा होता है तो फिर पहली बार गुजरात में खुलकर चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी की यह बड़ी उपलब्धि रहने वाली है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इन नतीजों की वजह से अरविंद केजरीवाल का अगला फोकस जरूर लोकसभा चुनाव होगा। वे 2024 में होने वाले चुनावों में कांग्रेस का विकल्प बनने की जरूर कोशिश करेंगे। इसके अलावा, अगले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में अब तक सीधी टक्कर बीजेपी और कांग्रेस के बीच में ही मानी जा रही है, लेकिन नई रणनीति के तहत आम आदमी पार्टी इन विधानसभा चुनावों को भी तेज तर्रार तरीके से लड़ने पर जरूर विचार करेगी।

19 की तरह नहीं, 14 की तरह लड़ेंगे 24? कांग्रेस के लिए खतरा
केजरीवाल की राजनीति को करीब से देखने वाले एक्सपर्ट्स पिछले कुछ सालों में उनकी रणनीति में कई बदलाव को भी देखते हैं। दरअसल, साल 2013 में दिल्ली में कांग्रेस की मदद से सरकार चलाने वाले केजरीवाल ने सिर्फ 49 दिनों में ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके पीछे वजह तो जनलोकपाल बिल को पारित नहीं होना बताया गया था, लेकिन माना गया कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में चेहरा बनने के लिए केजरीवाल ने ऐसा किया। बीजेपी के तमाम तरह के आरोपों और पीएम मोदी की लहर के बीच आम आदमी पार्टी की 2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हार हुई। पार्टी को सिर्फ पंजाब की चार सीटों पर ही जीत मिली, जबकि देशभर की 432 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ा। इसके बाद, केजरीवाल ने अगले लोकसभा चुनाव 2019 में रणनीति में बदलाव करते हुए नौ राज्यों की 40 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार खड़े किए। इसमें भी आप को कोई बड़ी सफलता नहीं मिली और सिर्फ भगवंत मान ही पंजाब के संगरूर से अपनी सीट बचाने में कामयाब हो सके। यहां तक कि जिस दिल्ली में पार्टी ने 2015 में एकतरफा जीत दर्ज की थी, वहां की भी सातों सीटें बीजेपी के पास चली गईं। अब एमसीडी और पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी 24 का चुनाव फिर से 14 के चुनाव जैसा ही लड़ने पर विचार करेगी। यानी कि कहीं-न-कहीं पार्टी बीजेपी से टक्कर और कांग्रेस का विकल्प बनने के लिए ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा कर सकती है। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह किसी खतरे से कम नहीं होगा। हालांकि, एक्सपर्ट्स मानते हैं कि विधानसभा और लोकल बॉडीज के चुनावों के मुकाबले लोकसभा चुनाव में काफी अंतर होता है। अतीत के चुनावों में देखा गया है कि एक ही वोटर ने विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अलग-अलग पार्टी को वोट दिया है। ऐसे में अब समय ही बताएगा कि यदि 2014 पर आम आदमी पार्टी फोकस करती है, तो वोटर्स किसके पक्ष में जाते हैं। 

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