दक्षिण अफ्रीका को चीते बसाने में लगे 26 साल, 200 की हुई मौत; कूनो में 20 में से 5-7 ही बचेंगे जिंदा!
चीता प्रोजेक्ट के तहत 8 नामीबियाई चीतों (पांच मादा और तीन नर) को पिछले साल 17 सितंबर को कूनो के बाड़ों में छोड़ा गया था। मालूम हो कि फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते केएनपी लाए गए।
कूनो नेशनल पार्क में लाए गए 20 चीतों में से 5-7 के ही जिंदा बचने की उम्मीद है। प्रोजेक्ट चीता से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का यह कहना है। मालूम हो कि 9 चीतों की पहले ही मौत हो चुकी है जिनमें 6 वयस्क और 3 शावक शामिल हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यहां चीतों की एक चौथाई आबादी पहले ही खत्म हो चुकी है और साल के अंत से पहले और भी मौतों की आशंका है। कूनो में चीतों को बसाने का प्रयास दुनिया के सबसे बड़े वन्यजीव स्थानांतरण में से एक है। जानकार कहते हैं कि कूनो में चीतों की अब तक की मृत्यु दर सामान्य मापदंडों के भीतर ही है। इसलिए चीतों की मौतों को लेकर बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है।
न्यूज 18 की रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया गया, 'जब दक्षिण अफ्रीका ने साल 1966 में चीतों को फिर से बसाने की कोशिश शुरू की तो उसमें 26 साल लग गए। अफ्रीका के माहौल में ढलने के लिए चीतों को समय लगा और इस बीच करीब 200 की मौत भी हुई। हालांकि, भारत में इतने बड़े पैमाने पर नुकसान की संभावना नहीं है।' जानकार बताते हैं कि निश्चित तौर पर प्रोजेक्ट चीता इसी तरह के बढ़ते दर्द से गुजरेगा। हालांकि, घबराने की जरूरत नहीं है। दक्षिण अफ्रीकी एक्सपर्ट की यह राय है, जो कि सरकार के चीता प्रोजेक्ट स्टीयरिंग कमिटी के परामर्श पैनल में भी शामिल हैं।
दक्षिण अफ्रीका-नामीबिया को भी लगा समय
दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया में मिलाकर वैश्विक चीता आबादी का हिस्सा 40% है। दुनिया भर में जानवरों की निरंतर गिरावट को देखते हुए दक्षिण अफ्रीका ने कमजोर प्रजातियों के संरक्षण का प्लान बनाया। इसी कड़ी में चीतों को देश के भीतर और बाहर फिर से बसाना शुरू किया गया। कुछ सालों के बाद उन्हें सफलता मिली और यह देश आगे की गिरावट को रोकने में सक्षम हो गया। फिलहाल चीतों की मेटा-जनसंख्या हर साल 8% बढ़ रही है जो कि संख्या के लिहाज से 40-60 है।
कूनो में जिंदा बचे 15 चीते
मध्य प्रदेश वन विभाग के अनुसार, केएनपी में फिलहाल 15 चीते रह गए हैं, जिनमें सात नर, सात मादा और एक मादा शावक शामिल हैं। उनमें एक शावक सहित 14 चीते फिलहाल बाड़े में रखे गए हैं, जबकि एक मादा चीता अभी भी जंगल में विचरण कर रही है। केएनपी में बाड़े में रखे गए 14 चीते स्वस्थ हैं और उनका लगातार स्वास्थ्य परीक्षण कूनो वन्यप्राणी चिकित्सक टीम व नामीबियाई विशेषज्ञ की ओर से किया जा रहा है। विभाग ने कहा कि जंगल में विचरण कर रही इस मादा चीते की एक दल द्वारा गहन निगरानी की जा रही है और उसे भी स्वास्थ्य परीक्षण के लिए बाड़े में लाए जाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
मौतों की लेकर उठने लगे सवाल
प्रोजेक्ट चीता के तहत, कुल 20 चीतों को दो दलों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में लाया गया था। पहला दल नामीबिया पिछले साल सितंबर में और दूसरा दल इस वर्ष फरवरी में आया। चार शावकों के जन्म के बाद चीतों की कुल संख्या 24 हो गई थी लेकिन 9 मौतों के बाद यह संख्या घटकर अब 15 रह गई है। चीते की मौत पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 'कूनो में जरूर बड़ी चूक हुई है... आज सुबह नौवें चीते की भी मौत हो गई। यह तर्क पूरी तरह से बकवास है कि ये मौतें अपेक्षित हैं। अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों द्वारा इसे खारिज कर दिया गया है। ऐसा तब होता है जब विज्ञान और पारदर्शिता को पीछे छोड़ दिया जाता है। ऐसा तब होता है जब किसी व्यक्ति के लिए दिखावा और अपना गुणगान ही सबसे ऊपर हो जाता है।'
(एजेंसी इनपुट के साथ)