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'गलत लोगों से घिरे रहते हैं राहुल गांधी, दबाव में लेते हैं फैसले', कुलदीप बिश्नोई का कांग्रेस पर वार

इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "जब आप किसी राज्य का मुखिया चुनते हैं, तो आपको एक जाना-पहचाना चेहरा चुनना चाहिए, एक ऐसा चेहरा जिसका अपना वोट बैंक हो और एक ऐसा चेहरा जिसे लोग जानते हों।"

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 15 June 2022 09:54 PM
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कांग्रेस के बागी विधायक कुलदीप बिश्नोई ने राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि वे ऐसे लोगों से घिरे रहते हैं जो जनता की नब्ज नहीं समझते। आदमपुर से विधायक, कुलदीप बिश्नोई ने 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस-वोटिंग कर हरियाणा से कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन की संभावनाओं को विफल कर दिया था। जिसके बाद कांग्रेस ने बिश्नोई पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी के सभी पदों से हटा दिया।

"बार-बार गलत फैसले लेते रहे हैं राहुल"

कुलदीप बिश्नोई ने बताया कि उन्होंने किस वजह से कांग्रेस पार्टी के खिलाफ बगावत की। द इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में बिश्नोई ने कहा कि कांग्रेस "आत्म-विनाश मोड" में है। पार्टी के साथ बगावत करने को लेकर उन्होंने कहा, "इसकी बड़ी वजह यह है कि यह पार्टी सेल्फ डिस्ट्रक्शन मोड में है। वे दबाव में फैसले ले रहे हैं। इतना ही नहीं, वे देश भर में बार-बार गलत फैसले लेते रहे हैं। जहां तक हरियाणा का सवाल है, उदय भान को पार्टी अध्यक्ष बनाने का उनका फैसला एक आपदा है।"

उदय भान पर भी खड़े किए सवाल

इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "जब आप किसी राज्य का मुखिया चुनते हैं, तो आपको एक जाना-पहचाना चेहरा चुनना चाहिए, एक ऐसा चेहरा जिसका अपना वोट बैंक हो और एक ऐसा चेहरा जिसे लोग जानते हों। लेकिन इस मामले में- उदयभान कौन हैं? पीसीसी अध्यक्ष बनने से पहले उन्हें कोई नहीं जानता था। यदि आप एक कमजोर नेता चुनते हैं, तो आप युद्ध कैसे जीत सकते हैं?"

कुलदीप बिश्नोई ने क्यों की क्रॉस वोटिंग

बिश्नोई की क्रॉस वोटिंग के कारण अजय माकन राज्यसभा चुनाव हार गए। इस पर उन्होंने कहा, "मैंने उन्हें [अजय माकन] वोट नहीं दिया क्योंकि यह इंदिरा गांधी जी या राजीव गांधी जी की कांग्रेस पार्टी नहीं है। हुड्डा कांग्रेस बन गई है। 10 जून को मतदान से पहले मेरे पास अजय माकन और पार्टी मामलों के प्रभारी विवेक बंसल का फोन आया। मैंने उन दोनों से कहा कि मैं पार्टी को वोट नहीं दूंगा। उन्होंने मुझसे कहा था कि आरजी [राहुल गांधी] मुझसे मिलेंगे, लेकिन वे नहीं मिले। मैंने आरजी से मिलने का समय नहीं मांगा था। मैंने सोशल मीडिया पर घोषणा की थी कि उन्होंने मुझसे जो वादे किए हैं, उन्हें मैं स्पष्ट करना चाहता हूं। उनके पास कोई जवाब नहीं था। इसलिए वह मुझसे नहीं मिले।"

मैंने उपमुख्यमंत्री का पद ठुकरा दिया था- बिश्नोई

बिश्नोई ने कहा कि उन्हें किसी पद का लालच नहीं था। उन्होंने कहा, "मैं कभी किसी खास पद के पीछे नहीं भागा। करीब एक दशक पहले मैंने उपमुख्यमंत्री का पद ठुकरा दिया था। मुझे लड़ाइयाँ जीतना पसंद है। मैं मैदान का आदमी हूं। यही मैंने आरजी को भी बताया था। मैं दिल जीत लेता हूँ। मैं अपने समर्थकों को साथ लेकर चलना जानता हूं। आरजी ने मुझसे वादा किया था कि वह मुझे हरियाणा में पार्टी बनाने देंगे। उन्होंने ही मुझे पीसीसी अध्यक्ष पद का वादा किया था। लेकिन, वह अपना वादा निभाने में नाकाम रहे। इसलिए वह मुझसे इसलिए नहीं मिले क्योंकि उनके पास मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं था।"

राहुल-प्रियंका ने दिया था मुझे भरोसा- कुलदीप बिश्नोई 

द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कुलदीप बिश्नोई ने आरोप लगाया कि उदय भान की नियुक्ति से पहले, प्रियंका गांधी ने उन्हें फोन किया और वादा किया था कि उन्हें अगला पीसीसी अध्यक्ष बनाया जाएगा। बिश्नोई ने कहा, "आरजी ने मुझसे पहले ही वादा कर दिया था। उन्होंने [राहुल गांधी और प्रियंका गांधी] ने मुझसे कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मैं, एक साथ, विस्फोटक संयोजन हो सकते हैं। लेकिन, अचानक हुड्डा के दबाव के आगे झुक गए। उदय भान को नियुक्त करने का निर्णय मुझे नहीं, अंतिम समय में और केवल हुड्डा के दबाव के कारण लिया गया था।"

आरजी किसी से नहीं मिलते- बिश्नोई

कुलदीप बिश्नोई ने राहुल गांधी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि वह तीन-चार लोगों से सलाह-मशविरा करने के बाद निर्णय लेते हैं। उनके गलत फैसलों से हमें बार-बार नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, "आपको क्या लगता है सिंधिया ने पार्टी क्यों छोड़ी? क्योंकि आरजी किसी से नहीं मिलते। उनकी [आरजी] की मंडली खराब है। ये वो लोग हैं जो राजनीति नहीं समझते। विदेशी शिक्षा वाले लोग यहां वोट नहीं जीत सकते। लोगों की नब्ज समझने वाले को उनकी मंडली में होना चाहिए, लेकिन दुख की बात है कि ऐसा नहीं हो रहा है। मैं किसी का नाम नहीं लूंगा। लेकिन हर कोई जानता है कि उस मंडली में वे लोग हैं जिन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा, कभी कोई चुनाव नहीं जीता या शायद दो दशक पहले अपनी आखिरी चुनावी लड़ाई जीती है। ऐसे लोग मतदाता की नब्ज को कैसे समझ सकते हैं?"

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