गुजरात की जीत में नरेंद्र से आगे निकलने वाले भूपेंद्र की कहानी, कैसे अचानक बने सीएम
Gujarat Assembly Election Results: गुजरात में भाजपा दो-तिहाई सीट हासिल कर इतिहास रचने जा रही है। इस रिपोर्ट में जानिये गुजरात की जीत में नरेंद्र से आगे निकलने वाले भूपेंद्र की कहानी...
गुजरात में भाजपा की लगातार सातवीं बार सत्ता में आने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। भाजपा दो-तिहाई सीट हासिल कर इतिहास रचने जा रही है। गुजरात में भाजपा के मृदुभाषी चेहरे के रूप में चर्चित भूपेंद्र पटेल एकबार फिर से सूबे की कमान संभालेंगे। पटेल 12 दिसंबर को दोबारा सीएम पद की शपथ लेंगे। पीएम मोदी ने गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि नरेन्द्र का रिकॉर्ड भूपेंद्र तोड़ेंगे। उम्मीदों के अनुरूप ही भूपेंद्र पटेल की अगुवाई में भाजपा सूबे में ऐतिहासक सफलता हासिल करने जा रही है। इस रिपोर्ट में एकनजर गुजरात की जीत में नरेंद्र से आगे निकलने वाले भूपेंद्र की कहानी...
नगर निकाय स्तर से सियासी सफर की शुरुआत
भूपेंद्र पटेल भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। उन्होंने नगर निकाय स्तर से राज्य की राजनीति में कदम रखा। उन्होंने गुजरात में अपने आप को एक नेता के तौर पर स्थापित करने के लिए कड़े फैसले किए हैं। भाजपा पहले ही ऐलान कर चुकी थी की पार्टी को बहुमत मिलने पर भूपेंद्र पटेल ही राज्य के मुख्यमंत्री होंगे।
ऐसे बने थे सीएम
भाजपा ने पिछले साल जब राज्य में पूरी ही सरकार को बदलने का फैसला किया था तब मुख्यमंत्री पद के लिए भूपेंद्र पटेल के चयन ने सबकों को चौंका दिया था। पार्टी ने विजय रुपाणी के स्थान पर भूपेंद्र पटेल का चयन किया था। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भूपेंद्र पटेल ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल समेत कई अन्य को पछाड़ दिया था।
सर्वेक्षणों लोगों की पहली पसंद
सितंबर 2021 में मुख्यमंत्री बनने से पहले भूपेंद्र पटेल को अहमदाबाद से बाहर कम ही लोग जानते थे। यहां तक कि उनसे पार्टी के अंदर भी ज्यादा लोग परिचित नहीं थे। 'ओपिनियन पोल्स' (सर्वेक्षणों) में वह गुजरात का नेतृत्व करने के लिए लोगों की पहली पसंद के तौर पर उभरे थे।
पाटीदार समुदाय से आने हैं भूपेंद्र
भूपेंद्र पटेल पाटीदार समुदाय से आने वाले चर्चित चेहरे हैं। गुजरात में पाटीदार जाति का वर्चस्व है और अच्छी खासी संख्या में उसके मतदाता हैं। उनका राज्य की राजनीति पर प्रभाव है। उनका प्रभाव शिक्षा, रियलटी और सहकारिता क्षेत्रों पर है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के कारण भाजपा 2017 में 99 सीटों पर सिमट गई थी। पार्टी ने 1995 के बाद सबसे कम सीटें जीती थी।
BJP ने भूपेंद्र को साथ ले पाटीदार समाज को जोड़ा
गुजरात में भाजपा के लिए यह जरूरी था कि वह पाटीदार समाज का भरोसा फिर से जीते। पाटीदार के उपसमूह 'केडवा' से ताल्लुक रखने वाले भूपेंद्र पटेल को तरक्की देकर और फिर मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर पार्टी ने 'केडवा' पाटीदार समुदाय को रिझाने की योजना बनाई थी। कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि यह वर्ग पार्टी से दूर हो गया था।
लोग प्यार से बुलाते हैं 'दादा'
भूपेंद्र पटेल को बहुत से लोग प्यार से 'दादा' बुलाते हैं। उन्हें आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है। भूपेंद्र पटेल 2015-2017 के बीच अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण के प्रमुख रह चुके हैं। इससे पहले वह 2010 से 2015 के बीच अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) की स्थायी समिति के प्रमुख रहे हैं।
इंजीनिरिंग में डिप्लोमा
भूपेंद्र पटेल सिविल इंजीनिरिंग में डिप्लोमा हैं। उनके करीबी लोगों का कहना है कि वह खुशमिजाज इंसान हैं और जमीन से अच्छी तरह से जुड़े हैं। विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले वह स्थानीय स्तर पर सक्रिय थे। अहमदाबाद जिले की मेमनगर नगर निकाय के सदस्य बने। उन्होंने दो बार इसके प्रमुख के तौर पर सेवा दी।
खेल भी है पसंद
भूपेंद्र पटेल सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र के न्यासी भी हैं। यह पाटीदार समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए समर्पित संगठन है। पटेल की शादी हेतलबेन से हुई है जो गृहणी हैं। उनका आवास अहमदाबाद के शिलाज इलाके में हैं। उन्हें आध्यात्मिक गतिविधियों के साथ-साथ क्रिकेट और बैडमिंटन जैसे खेल पसंद हैं।
घाटलोडिया सीट से विधायक
अहमदाबाद में जन्मे भूपेंद्र पटेल घाटलोडिया सीट से विधायक हैं। इस सीट से पहले पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल विधायक रही थीं। भूपेंद्र पटेल ने 2017 में 1.17 लाख मतों के अंतर से यह सीट जीती थी। भपेंद्र पटेल ने इस बार भी घाटलोडिया सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है। पटेल ने 1.92 लाख मतों के अंतर से घाटलोडिया सीट पर जीत दर्ज की है। यह सीट गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है जिसका प्रतिनिधित्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करते हैं।