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राकेश टिकैत के इलाके खतौली में भी क्यों मजबूत है भाजपा, कितना है 'MJ' फैक्टर

जाटों और आरएलडी के प्रभाव वाले इलाके में खतौली सीट आती है। इसके बाद भी भाजपा का यहां मजबूत होना विश्लेषकों को थोड़ा चौंका जरूर सकता है, लेकिन इसके कई कारण भी हैं, जिन्हें समझना होगा।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, खतौलीFri, 2 Dec 2022 01:57 PM
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उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले की लोकसभा सीट के अलावा रामपुर एवं खतौली विधानसभा सीटों पर 5 दिसंबर को उपचुनाव होने वाला है। इनका नतीजा हिमाचल और गुजरात से साथ ही 8 दिसंबर को आएगा। माना जा रहा है कि इन उपचुनावों के नतीजे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पीपुल्स मीटर होंगी। रामपुर में आजम खान के गढ़ में भाजपा पूरी ताकत झोंक रही है और उसकी चर्चा भी काफी है। लेकिन ऐसी ही हाईप्रोफाइल सीट खतौली भी है, जो राकेश टिकैत का गढ़ भी कही जाती है। हालांकि यहां भाजपा इसके बाद भी मजबूत रही है। मार्च में हुए चुनाव में भाजपा के विक्रम सैनी यहां से जीते थे, लेकिन अयोग्य ठहराए जाने के बाद अब उनकी पत्नी राजकुमारी सैनी मैदान में हैं। वहीं सपा और आरएलडी गठबंधन ने बाहुबली मदन भैया को मैदान में उतारा है।

जाटों और आरएलडी के प्रभाव वाले इलाके में खतौली सीट आती है। इसके बाद भी भाजपा का यहां मजबूत होना विश्लेषकों को थोड़ा चौंका जरूर सकता है, लेकिन इसके कई कारण भी हैं, जिन्हें समझना होगा। दरअसल खतौली में कुल 3 लाख 12 हजार के करीब मतदाता हैं। इनमें से 77 हजार मुस्लिम हैं, जबकि 57 हजार दलित हैं। साफ है कि खतौली में यह सबसे बड़ा वोटबैंक है और इनके बराबर ही तमाम ओबीसी बिरादरियों की आबादी है, जिनमें कश्यप, सैनी और गुर्जर आते हैं। भाजपा को यहीं से बढ़त मिलती है। एक तरफ उसे तमाम ओबीसी बिरादरियों के वोट मिलते हैं और जाटों में भी करीब आधे वोट मिलते हैं तो वहीं दलितों में भी वह सेंध लगा देती है।

खतौली का सामाजिक समीकरण ऐसा है कि कोई भी दल खुलकर किसी भी वर्ग से जीतने का दावा नहीं ठोक सकता। जाटों के वोट इस सीट पर काफी कम हैं और इसके चलते मुस्लिम जाट यानी JM फैक्टर यहां उस तरह से नहीं चल पाता, जैसे पश्चिम यूपी की कई दूसरी सीटों पर रहता है। इसके अलावा सुरक्षा समेत तमाम मुद्दों पर भाजपा को वोट देने वाले जाटों की भी कमी नहीं है। इस सीट पर सैनी मतदाताओं की संख्या 27 हजार है। इसके अलावा 19 हजार पाल और 17 हजार कश्यप हैं। इन वर्गों के वोटों पर भाजपा की मजबूत दावेदारी रही है। 

क्यों RLD के मुकाबले भाजपा की यहां मजबूत स्थिति

गौरतलब है कि किसान नेता राकेश टिकैत खुद भी इस सीट से 2007 में विधानसभा चुनाव में उतरे थे। हालांकि उन्हें करारी हार झेलनी पड़ी और छठे नंबर पर आए थे। भाजपा के लिए यह सीट इसलिए प्रतिष्ठा का मसला बन चुकी है क्योंकि उसके जाट चेहरे संजीव बालियान के संसदीय क्षेत्र के तहत यह आती है। 2019 के आम चुनाव में खतौली सीट से ही बालियान को जबरदस्त बढ़त मिली थी और वह अजित सिंह के मुकाबले जीत गए थे। यही नहीं जाट नेता भूपेंद्र चौधरी को भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। यह सीट उनके असर को भी तय करेगी।

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