Kerala High Court Women are not slaves of their mothers or mothers in law महिलाएं सास की गुलाम थोड़ी हैं, यह सन् 2023 है; ऐसा क्यों बोला केरल हाई कोर्ट, India Hindi News - Hindustan
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महिलाएं सास की गुलाम थोड़ी हैं, यह सन् 2023 है; ऐसा क्यों बोला केरल हाई कोर्ट

केरल हाई कोर्ट ने गुरुवार को तलाक के एक मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि महिलाएं मां और सास की गुलाम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह सन 2023 चल रहा है। कोर्ट ने यह टिप्पणी फैमिली कोर्ट के आदेश पर की।

Deepak लाइव हिंदुस्तान, तिरुवनंतपुरमFri, 20 Oct 2023 04:23 PM
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महिलाएं सास की गुलाम थोड़ी हैं, यह सन् 2023 है; ऐसा क्यों बोला केरल हाई कोर्ट

केरल हाई कोर्ट ने गुरुवार को तलाक के एक मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि महिलाएं मां और सास की गुलाम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह सन 2023 चल रहा है। कोर्ट ने यह टिप्पणी फैमिली कोर्ट के आदेश की आलोचना करते हुए की। इस दौरान उसने फैमिली कोर्ट की पितृसत्तात्मक टिप्पणियों की मौखिक रूप से आलोचना भी की। जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा कि त्रिशूर की फैमिली कोर्ट ने इससे पहले महिला की शिकायतों को सामान्य बताते हुए तलाक याचिका खारिज कर दी थी।

फैमिली कोर्ट के आदेश पर टिप्पणी
जस्टिस रामचंद्रन ने कहा कि फैमिली कोर्ट का आदेश बहुत परेशान करने वाला और पितृसत्तात्मक है। उन्होंने कहा कि यह 2023 चल रहा है और अब चीजें पहले जैसी नहीं हैं। सुनवाई के दौरान पति के वकील ने कहा कि त्रिशूर की फैमिली कोर्ट ने महिला से अपनी मां और सास की बातों पर अमल करने की ताकीद की है। इस बात को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि किसी महिला को उसकी मां या सास से कमतर नहीं आंकना चाहिए। जस्टिस रामचंद्रन ने कहा कि महिलाएं अपनी मां या सास की गुलाम नहीं हैं।

महिला की सहमति भी जरूरी
जज ने पति के वकील की इस दलील पर भी आपत्ति जताई कि मौजूदा विवादों को अदालत के बाहर भी आसानी से सुलझाया जा सकता है। जस्टिस रामचंद्रन ने स्पष्ट किया कि वह कोर्ट से बाहर समझौते के लिए केवल निर्देश ही दे सकते हैं। इसमें महिला की सहमति भी होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि महिला के पास अपना भी दिमाग है। आप क्या करेंगे? उसे बांधकर रखेंगे? समझौते के लिए उस पर दबाव बनाएंगे? जस्टिस रामचंद्रन ने महिला के पति से कहा कि यही वजह है कि वह आपको छोड़ने को मजबूर है।

पेंडिंग तलाक केस की सुनवाई
अदालत एक महिला द्वारा कोट्टाराकारा में फैमिली कोर्ट में पेंडिंग तलाक के मामले को थालास्सेरी की फैमिली कोर्ट में ट्रांसफर के लिए दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो माहे के करीब था। महिला अपने बच्चे के साथ रोजगार के लिए माहे चली गई है। महिला ने अदालत को बताया कि शादी के बाद झगड़ों और गलत व्यवहार के चलते शुरू में वह अपने पिता के घर चली गई थी। त्रिशूर की अदाल में तलाक की पहली याचिका खारिज होने के बाद महिला ने कोट्टाराकारा में याचिका दायर की। वजह, यह उनके पिता के घर से करीब था।

महिला की ऐसी दलील
बाद में महिला को रोजगार के लिए माहे जाना पड़ा। महिला ने हाई कोर्ट से कहा कि उनके लिए तलाक की सुनवाई के लिए कोट्टाराकारा की यात्रा करना आसान नहीं होगा। इससे उसके बच्चे की देखरेख पर असर पड़ेगा। इसलिए महिला ने कोर्ट से गुहार लगाई कि तलाक का मामला थालासेरी में ट्रांसफर कर दिया जाए, जो माहे के करीब है। हालांकि, उसके पति ने याचिका को ट्रांसफर किए जाने का विरोध किया है। उसने तर्क दिया कि उसकी मां जो कि केस में दूसरी जवाबदेह है, उम्र ज्यादा होने के चलते थालासेर नहीं जा सकती है।