सुप्रीम कोर्ट में पहली बार आएंगे इस राज्य से जज, आजाद भारत में पहली बार होगा यह काम
राष्ट्रपति ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है। ऐसा पहली बार होगा की पूर्वोत्तर में स्थित राज्य मणिपुर से आया कोई व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर बैठे।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के लिए नियुक्ति किए गए दो जजों के नाम घोषित किए। जस्टिस कोटिस्वर और जस्टिस आर माधवन को सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज नियुक्त कर दिया गया है। इस समय सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश समेत 32 जज हैं, नवनियुक्त न्यायाधीशों की शपथ के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या अपने सर्वोच्च स्तर तक पहुंच जाएगी। जस्टिस सिंह का सुप्रीम कोर्ट में पहुंचना एक ऐतिहासिक फैसला है क्योंकि वह मणिपुर से आने वाले पहले जज बन गए हैं, जो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे हैं।
मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में कॉलेजियम ने की थी नाम की सिफारिश
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड के नेतृत्व में कॉलेजियम ने 11 जुलाई को वरिष्टता, मेरिट और न्यायिक ईमानदारी जैसे मुद्दों को ध्यान में रखकर इन दोनों न्यायाधीशों के नाम सुझाए थे। हाल ही में दो न्यायाधीशों की रिटायरमेंट के बाद सुप्रीम कोर्ट केवस 32 जजों के साथ ही काम कर रहा था और इसके साथ ही सितम्बर में जस्टिस हिमा कोहली का भी रिटायरमेंट का समय आ गया था इसलिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह फैसला लिया गया। कॉलेजियम के समय के साथ किए गए चुनाव और केंद्र सरकार की तुरंत हरी झंडी मिल जाने का फायदा यह रहा की सुप्रीम कोर्ट अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करेगा।
जस्टिस सिंह सुप्रीम कोर्ट में पूर्वोत्तर का प्रतिनिधित्व करेंगे
जस्टिस सिंह जम्मू कश्मीर और लद्धाख हाइकोर्ट में फरवरी 2023 से चीफ जस्टिस का पद संभाल रहे हैं। उन्होंने अपना करियर 2011 में एडिशनल जज के रूप में गुवाहाटी हाईकोर्ट से शुरू किया था। जस्टिस की का न्यायिक क्षेत्र में प्रसंशनीय रिकार्ड है, जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उनकी नियुक्ति पर अपनी मुहर लगाई है। जस्टिस सिंह के पिता इबोतोमवी सिंह मणिपुर के पहले एटवोकेट जनरल थे। जस्टिस सिंह ने अपनी लॉ की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ी लाल मीना कॉलेज से पूरी की। वह जज बनने के पहले मणिपुर में एडवोकेट जनरल के रूप में भी काम कर चुके हैं।
जस्टिस महादेवन को मिला वरिष्ठों से पहले मौका
जस्टिस महादेव मद्रास हाइकोर्ट में 2013 से जज के रुप में कार्यरत हैं। वह तमिलनाडू से आते हैं। उनकी नियुक्ति पर कॉलेजियम ने कहा कि जस्टिस माधवन की नियुक्ति के बाद बेंच में विविधता आएगी, जो कि एक बेहतर बात है। जस्टिस माधवन मद्रास लॉ कॉलेज के छात्र रहे हैं और वह अभी तक करीब 9 हजार केसों में फैसला सुना चुके हैं जस्टिस माधवन को उनके दो सीनियर जजों से पहले प्राथमिकता दी गई है, कॉलेजियम ने कैडिडेचर के आधार पर और पिछड़ा वर्ग को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने के चलते इनकी नियुक्ति पर मुहर लगाई है।
जनवरी में हुई थी सुप्रीम कोर्ट में अंतिम नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट में आखिरी नियुक्ति जनवरी 2024 में जस्टिस पी बी वराले की हुई थी। यह पहली बार था कि सुप्रीम कोर्ट में एक साथ अनुसूचित जाति से जुड़े तीन जज थे। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल और मई में दो जजों की सेवानिवृत्ति हो चुकी है। इसके चलते और जजों को नियुक्त करने का फैसला मुख्य न्यायाधीश के द्वारा लिया गया।