झटका: जेपी इन्फ्राटेक के घर खरीदारों का इंतजार बढ़ेगा
जेपी इन्फ्राटेक के प्रोजेक्ट में घर खरीदारों का भविष्य एक बार फिर अधर में लटक गया है। शोधन अक्षमता एवं दिवालिया प्रक्रिया (आईबीसी) के तहत नया खरीदार ढूंढ़ने के लिए दी गई 6 मई की समयसीमा तक कंपनी के...
जेपी इन्फ्राटेक के प्रोजेक्ट में घर खरीदारों का भविष्य एक बार फिर अधर में लटक गया है। शोधन अक्षमता एवं दिवालिया प्रक्रिया (आईबीसी) के तहत नया खरीदार ढूंढ़ने के लिए दी गई 6 मई की समयसीमा तक कंपनी के लिए खरीदार मिलना मुश्किल है। अब इस प्रकिया को एक और विस्तार का इंतजार है।
कर्जदारों ने इस कंपनी के लिए सुरक्षा ग्रुप की बोली को शुरुआती भुगतान की रकम कम होने के चलते शुक्रवार को खारिज कर दी थी। सुरक्षा ग्रुप के प्लान के लिए की गई वोटिंग प्रक्रिया में उसे जरूरी समर्थन नही मिल पाया। करीब चालीस फीसदी कर्जदारों ने सुरक्षा समूह के खिलाफ वोटिंग की। वही केवल 20 फीसदी उसके समर्थन में रहे। समाधान योजना की मंजूरी के लिए 66 फीसदी वोटों का होना जरूरी था। दरअसल जेपी प्रोजेक्ट में घर खरीदने वाले और कर्जदार दोनों चाहते हैं कि कोई सरकारी कंपनी ही प्रोजेक्ट को टेकओवर करे और घर बनाए। ऐसे में जेपी प्रोजेक्ट में एनबीसीसी की मजबूत दावेदारी अभी भी बनी हुई है।
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ताजा हालात ये हैं कि फिलहाल कर्जदारों की समिति 9 मई को अगली रणनीति के लिए बैठक करने जा रही है। इससे पहले जेपी इन्फ्राटेक को आईबीसी के तहत मिली डेडलाइन 6 मई को खत्म हो जाएगी। साथ ही मामले पर 6 मई को ही नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल यानि एनसीएलटी कोर्ट की इलाहाबाद शाखा में मामले की सुनवाई होनी है। माना जा रहा है कि अदालत से जेपी प्रोजेक्ट के लिए बोली की प्रक्रिया को और आगे बढ़ाने की मांग की जाएगी। एक्सटेंशन मिलने के बाद ही ये तय हो सकेगा कि ये प्रोजेक्ट किसे दिया जाए।
गौरतलब है कि आईडीबीआई बैंक की अगुवाई वाले समूह के आवेदन को एनसीएलटी में स्वीकार किये जाने के बाद जेपी इन्फ्राटेक साल 2017 में ऋण शोधन प्रक्रिया में गयी थी। जेपी इन्फ्राटेक जेपी ग्रुप की प्रमुख कंपनी है। कंपनी के ऊपर बैंकों के 9,800 करोड़ रुपये का बकाया हैं। सभी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद भी यहां काम शुरू होने में कम से कम 4-6 महीने का समय और लग सकता है।
एनबीसीसी बाहर हो गई थी
इस प्रोजेक्ट के लिए सुरक्षा और सरकारी क्षेत्र की रियल एस्टेट कंपनी एनबीसीसी की बोलियां अंतिम दौर में पहुंची थी। कर्जदारों की कमेटी ने दोनों कंपनियों से संशोधित बोलियां दाखिल करने को कहा था। इसमें एनबीसीसी ने नई बोली दाखिल तो कर दी थी लेकिन उसमें कई बातों के लिए सरकारी मंजूरी की शर्तें भी रखी गई थीं। हालांकि मंजूरी इसी हफ्ते बुधवार को एनबीसीसी को मिल गई है लेकिन तब तक वो प्रोजेक्ट की दौड़ से बाहर हो चुकी थी। और सुरक्षा ग्रुप क बोलियों को कर्जदारों के सामने वोटिंग के लिए रख दिया गया।
9 मई को तय होगी अगली रणनीति
अदालत के फैसले के आधार पर ही 9 मई की बैठक में ये फैसला लिया जाएगा कि जेपी इंफ्रा के लिए नई बोलियां मंगाई जाएंगी या नहीं। अगर एनसीएलटी की तरफ से कंपनी की बोली प्रक्रिया के लिए फिर से 270 दिनों का एक्सटेंशन मिल जाता है तो इस प्रोजेक्ट के लिए नई बोलियां मंगाई जा सकती हैं।