पुंछ में वायु सेना पर हमले के पीछे लश्कर? साजिद जट से जुड़े 4 गुर्गे रडार पर; बच पाना मुश्किल
सुरक्षा अधिकारियों ने रविवार को बताया कि जिले के सुरनकोट इलाके में शाहसितार के पास शनिवार शाम हुए हमले में वायुसेना के 5 कर्मी घायल हो गए, जिनमें से एक ने सैन्य अस्पताल में दम तोड़ दिया।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में भारतीय वायु सेना के काफिले पर हमले में शामिल आतंकवादियों को पकड़ने का अभियान रविवार को दूसरे दिन भी जारी है। अधिकारियों ने बताया कि जिले के सुरनकोट इलाके में शाहसितार के पास शनिवार शाम हुए हमले में वायुसेना के 5 कर्मी घायल हो गए थे जिनमें से एक ने सैन्य अस्पताल में दम तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों का सफाया करने के लिए शाहसितार, गुरसाई, सनाई और शीनदारा टॉप समेत कई इलाकों में सेना व पुलिस का संयुक्त अभियान जारी है। ऐसा माना जा रहा है कि हमले के बाद आतंकवादी जंगल में भाग गए। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के साथ अब तक कोई संपर्क नहीं हुआ है और सुरक्षाकर्मियों का तलाश अभियान जारी है।
न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, पुंछ में वायु सेना के काफिले पर हमले के पीछे साजिद जट की ओर से ट्रेंड लश्कर-ए-तैयबा के 4 आतंकी थे। रक्षा मामलों से जुड़े सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि घटनास्थल वाले इलाके में साजिद जट गुट से जुड़े करीब 17 आतंकी सक्रिय हैं। सूत्रों ने बताया, 'पिछले हमलों के बाद SOP डेवलप की गई। सुरक्षा बलों ने जोरदार जवाबी कार्रवाई की तो आतंकवादी भाग गए जिनकी तलाश जारी है।' यह घटना शाम के करीब 6 बजे हुई, जब काफिला जारनवाली से वायु सेना स्टेशन के लिए लौट रहा था। माना जा रहा है कि वायुसेना का यह मूवमेंट रडार ऑपरेशन के लिए था।
पुंछ में आतंकी गतिविधियों में हो रही बढ़ोतरी
सुरक्षा अधिकारियों को संदेह है कि पुंछ हमले के पीछे आतंकवादियों के उसी गुट की संलिप्तता हो सकती है, जिन्होंने पिछले साल 21 दिसंबर को बुफलियाज के पास सैनिकों पर घात लगाकर हमला किया था। इस अटैक में 4 सैनिक शहीद हो गए और 3 घायल हुए थे। वायुसेना के काफिले में शामिल ट्रकों में से एक को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा, जिसमें कई गोलियां उसकी विंडस्क्रीन और साइड में लगीं थीं। ऐसा कहा गया कि आतंकवादी AK असॉल्ट राइफलों से लैस थे और हमले के बाद पास के जंगलों में भाग गए। मालूम हो कि राजौरी के पास पुंछ जिले में पिछले 2 वर्षों में कुछ बड़े आतंकवादी हमले हुए हैं। यह इस इलाके में आतंकवादी गतिविधियों की वापसी का संकेत है, जबकि 2003 और 2021 के बीच माहौल थोड़ा शांतिपूर्ण चल रहा था।