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10 मई को परेशान कांग्रेस के दो इम्तिहान, कर्नाटक के साथ दांव पर जालंधर का मैदान

अब अटकलें हैं कि गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू जालंधर पहुंचकर कांग्रेस उम्मीदवार करमजीत कौर के साथ नामांकन दाखिल करने जा सकते हैं।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 13 April 2023 11:20 AM
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी कांग्रेस के लिए जालंधर उपचुनाव भी अहम साबित होने वाला है। खबर है कि पार्टी के नेता लोकसभा उपचुनाव में हर हाल में जीत की कोशिशों में जुटे हुए हैं। फिलहाल, कांग्रेस ने कथित आपसी मतभेदों की परेशानी के बीच भी पंजाब में एकता की तस्वीर बनाने की कोशिश की है। गुरुवार को जालंधर में कई दिग्गजों के जुटने के आसार हैं।

खास बात है कि 10 मई को कर्नाटक के साथ-साथ जालंधर सीट पर भी मतदान होगा। ऐसे में दोनों ही चुनाव पार्टी के लिए काफी अहम हो जाते हैं। अब अटकलें हैं कि गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू जालंधर पहुंचकर कांग्रेस उम्मीदवार करमजीत कौर के साथ नामांकन दाखिल करने जा सकते हैं।

सिद्धू के अलावा पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पूर्व अध्यक्ष लाल सिंह, शमशेर सिंह डुल्लो और मोहिंदर केपी को भी न्योता भेजा है। इनके अलावा कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, रवनीत सिंह बिट्टू, मोहम्मद सादिक, गुरजीत औजला, भारत भूषण आशु, राजा गुरजीत सिंह भी कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं।

प्रदेश कांग्रेस में कलह के बीच पार्टी चाहती है कि चुनाव के लिए सभी वरिष्ठ नेता साथ आएं और जालंधर पहुंचें। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इन मतभेदों का पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। रिपोर्ट में एक वरिष्ठ नेता के हवाले से बताया गया, 'यहां एक हार हमें लगभग संकट में डाल देगी। हमें मतभेद भूलकर एकता के साथ लड़ना चाहिए।'

 पहले ही कई संकट
खास बात है कि पूर्व विधायक और कांग्रेस के बड़े नेता माने जाने वाले सुशील रिंकू और चौधरी सुरेंद्र सिंह ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था। इधर, आप ने भी रिंकू को उम्मीदवार बना दिया। वहीं, सिद्धू भी लगातार बड़े नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। उनकी इन कोशिशों को राजनीति में बढ़ती सक्रियता के साथ देखा जा रहा है। पूर्व सीएम चन्नी भी जालंधर में खासे लोकप्रिय हैं।

जीत जरूरी क्यों?
दरअसल, बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आप के हाथों करारी हार झेलनी पड़ी थी। भगवंत मान की अगुवाई में आप ने 92 सीटों पर बड़ी जीत दर्ज की थी। वहीं, सत्तारूढ़ कांग्रेस सिमटकर 18 पर आ गई थी। सिद्धू से लेकर चन्नी तक कांग्रेस के कई बड़े चेहरों को हार का सामना करना पड़ा था। जालंधर लोकसभा सीट कांग्रेस सांसद रहे चौधरी संतोख सिंह के निधन के बाद खाली हो गई थी। ऐसे में सीट पर दबदबा बनाए रखने के लिए जीत जरूरी होगी।

कर्नाटक चुनाव
दक्षिण भारतीय राज्य में सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी कांग्रेस तैयारियों का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। हालांकि, कर्नाटक में भी पूर्व सीएम सिद्धारमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच तनातनी की खबरें आती रही हैं। इसके अलावा यह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गृह राज्य भी है।

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