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मार्शल आर्ट में बेजोड़ जवान, बॉर्डर पर हाथापाई में छुड़ा देंगे छक्के; 'गलवान' दोहराने से कापेंगे दुश्मन

हमारे देश के रीजनल मार्शल आर्ट में काफी विविधता है जिसे ध्यान में रखते हुए एएमएआर ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किया गया। इस बात का ध्यान रखा गया कि भारतीय सेना के जवानों की व्यापक तैयारी हो सके।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 23 Feb 2024 11:57 AM
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जून, 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए जबकि दूसरी तरफ भी हताहतों की संख्या काफी अधिक रही। 1962 के युद्ध के बाद चीन के साथ भारत का यह सबसे भीषण सीमा संघर्ष था। इससे दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध पैदा हो गया। पेट्रोलिंग प्लाइंट-14 पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच करीब 6 घंटे तक भिड़ंत चली थी। इस झड़प ने ऐसी कठोर परिस्थितियों में भारतीय सैनिकों की निहत्थे युद्ध की क्षमता को दिखाया। साथ ही हमने कई सारे सबक भी सीखे और खुद को पहले से कहीं ज्यादा तैयार किया।

न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, इस झड़प के बाद भारतीय सेना ने पारंपरिक मार्शल आर्ट क्षमता को और ज्यादा मजबूती दी। इसके लिए इस कला में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर फोकस किया गया। साथ ही, आर्मी मार्शल आर्ट्स रिजीम (AMAR) को सेना की दिनचर्या में शामिल किया गया। अब भारतीय सेना की हर एक फील्ड यूनिट AMAR की प्रैक्टिस करती है। अधिकारियों के अनुसार, नवंबर 2020 को एएमएआर को आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना के प्रशिक्षण में शामिल किया गया। इससे पहले भी इंडियन आर्मी की कई रेजिमेंट्स मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस कर रही थीं, मगर अब इसे रूटीन का हिस्सा बना लिया गया।

ट्रेनिंग के लिए रीजनल मार्शल आर्ट का रखा गया ध्यान
रक्षा मंत्रालय के सीनियर अधिकारी ने बताया, 'रीजनल मार्शल आर्ट में काफी विविधता है जिसे ध्यान में रखते हुए एएमएआर ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किया गया। इस बात का ध्यान रखा गया कि सैनिकों की व्यापक तैयारी हो सके। इसके लिए न केवल निहत्थे युद्ध कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है बल्कि शारीरिक और मानसिक फिटनेस पर भी पूरा जोर रहता है।' उन्होंने कहा कि हम सैनिकों के लिए एएमएआर बेसिक और एएमएआर एडवांस्ड दोनों मॉड्यूल मुहैया कराते हैं। मार्शल आर्ट को लेकर पंजाब में गतका, केरल में कलारीपयट्टू और मणिपुर में थांग-ता काफी लोकप्रिय है। ऐसे में जवानों के लिए मॉड्यूल को डिजाइन करते समय इन सबका ध्यान रखा गया, ताकि बेहतर ट्रेनिंग दी जा सके।

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