ऊंचाई पर बैठकर चीन को धूल चटाएगी भारतीय सेना, अरुणाचल में मिली जबरदस्त फायरिंग रेंज
10,000 फीट से ऊपर और एलएसी से लगभग 50 किमी दूर स्थित इन दो रेंजों का नाम कैमराला और मंडला है। दोनों रेंजों की जमीन सौंपने की अधिसूचना को मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने मंजूरी दे दी है।

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। भारत LAC पर अपनी रणनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस बीच भारतीय सेनाओं के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। अरुणाचल प्रदेश सरकार ने सशस्त्र बलों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब, सुपर फायरिंग रेंज वाली जगह प्रदान की है। अत्यंत संवेदनशील वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 50 किलोमीटर के हवाई दायरे के भीतर अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न तरह के हथियारों और निगरानी उपकरणों के अभ्यास के लिए इस अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में स्थित दो ‘फायरिंग रेंज’ को सशस्त्र बलों को उपलब्ध कराया गया है।
10,000 फीट से ऊपर और एलएसी से लगभग 50 किमी दूर स्थित इन दो रेंजों का नाम कैमराला और मंडला है। दोनों रेंजों की जमीन सौंपने की अधिसूचना को मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने मंजूरी दे दी है। सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि ‘बुलंद भारत’ नाम का पहला एकीकृत निगरानी और मारक क्षमता प्रशिक्षण अभ्यास मई में मंडला में किया जा चुका है, जबकि कामराला फायरिंग रेंज में अभी एक बड़ा फायरिंग अभ्यास किया जाना बाकी है। दोनों सुपर हाई एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज एलएसी से 50 किलोमीटर की हवाई दूरी के भीतर स्थित हैं।
अरुणाचल प्रदेश चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ 1,129 किलोमीटर लंबी एलएसी साझा करता है। क्षेत्र में तैनात एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में दोनों फायरिंग रेंज मुख्यमंत्री खांडू की व्यक्तिगत पहल पर सशस्त्र बलों को उपलब्ध कराई गईं। संपर्क करने पर खांडू ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘राष्ट्रीय हित पहले आते हैं। हमने सशस्त्र बलों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए दो फायरिंग रेंज के लिए जमीन सौंपने का फैसला किया है।’’
पिछले साल नौ दिसंबर को यांगस्ते में पीएलए (चीनी) सैनिकों ने घुसपैठ की थी। यह क्षेत्र तवांग जिले में मुख्यमंत्री के अपने विधानसभा क्षेत्र मुक्तो के अंतर्गत आता है। पीएलए सैनिकों के यांग्स्ते में प्रवेश करने के बाद वे भारतीय सेना से भिड़ गए थे, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे।
सूत्रों ने कहा कि दोनों फायरिंग रेंज सशस्त्र बलों के लिए बेहद फायदेमंद होंगे क्योंकि लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में ऊंचाई वाले रणनीतिक स्थानों पर तैनात सैनिक गोलीबारी का अभ्यास कर सकते हैं और इसमें कुशल बन सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि यह अभ्यास विशेष बलों, अरुणाचल प्रदेश के कामेंग और तवांग में तैनात वायु एवं केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के साथ निकट समन्वय में किया गया।