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मैं उन्हें वापस लाऊंगा, कतर में सजा के वक्त जयशंकर ने किया था वादा; भावुक हो गए थे नौसैनिक

कतर में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन आठ पूर्व नौसैनिकों की पत्नियों को दिल्ली बुलाया था। विदेश मंत्री नौसैनिकों की रिहाई के लिए कतर से गुहार लगाने का वादा किया था।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 15 Feb 2024 09:12 PM
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कतर ने अपनी कैद से पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया है। कतर से आए उन पूर्व नौसैनिकों में तिरुवनंतपुरम के रहने वाले रागेश गोपकुमार भी शामिल हैं। रागेश गोपकुमार विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस संकल्प को याद करते हुए भावुक हो गए, जिसे कतर द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद विदेश मंत्री पूर्व नौसैनिकों के परिवार के सामने लिया था। रागेश गोपकुमार ने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कतर में मौत की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद जेल में बंद आठ नाविकों की पत्नियों को दिल्ली बुलाया। गोपकुमार ने बताया, "विदेश मंत्री ने हमारी पत्नियों से कहा - मैं उन्हें (नौसेना के अधिकारियों को) वापस लाऊंगा। मैं उनकी रिहाई के लिए गुहार लगाने के लिए तैयार हूं।"

41 साल के रागेश उन आठ नाविकों में से एक हैं जिन्हें कतर ने रिहा किया था। तिरुवनंतपुरम के बलरामपुरम के मूल निवासी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया , "हम जेल से अपनी रिहाई को लेकर आशान्वित थे, लेकिन यह कब होगा इसका कोई अंदाजा नहीं था। अचानक, जेल अधिकारियों ने हमें सामान पैक करने के लिए कहा। हम सभी को कतर में भारत के राजदूत को सौंप दिया गया। वह हम सभी को अपने आवास पर ले गए।"

पूर्व नौसैनिक ने याद किया जयशंकर का वादा
रागेश ने कहा, "हमें मृत्युदंड दिए जाने के एक दिन बाद केंद्रीय मंत्री एस जयशंकर ने हमारी पत्नियों को दिल्ली बुलाया। उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि हमें घर वापस लाया जाएगा। उन्होंने हमारी पत्नियों से कहा, 'मैं उन्हें वापस लाऊंगा। मैं उनकी रिहाई के लिए गुहार लगाने के लिए भी तैयार हूं।" रागेश ने कहा कि उन्हें बताया गया कि राजदूत को भी 20 मिनट पहले ही घटनाक्रम के बारे में सूचित किया गया था। उन्होंने कहा, "हमें पता चला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के फैसले के बारे में सीधे राजदूत को सूचित किया। हमें अगली उड़ान से भारत वापस भेज दिया गया। उपराजदूत हमें हवाईअड्डे तक ले गए।"

कतर में कैसी थी नौसैनिकों की जिंदगी
सलाखों के पीछे बिताए समय को याद करते हुए रागेश ने कहा कि शुरुआत में उन्हें अलग-अलग कोठरियों में रखा गया था। लेकिन बाद में राजदूत के हस्तक्षेप के बाद एक सेल में दो लोगों को जाने की इजाजत दी गई। उन्होंने कहा, "हम शुरू में अपने परिवारों बात नहीं कर पाए। हम सब बेबस हो गए थे। हालांकि, एक महीने बाद हमें घर पर फोन करने की अनुमति दे दी गई।"

रागेश 15 साल की सेवा के बाद 2017 में भारतीय नौसेना से नाविक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद उन्होंने रक्षा सेवा प्रदाता अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज में नौकरी के लिए आवेदन करने से पहले केरल जल प्राधिकरण के साथ अनुबंध पर काम किया। उन्होंने कहा, "यह एक अच्छा प्रस्ताव था और मैंने इसे स्वीकार कर लिया।"

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