कैसे कोई दल बनता है नेशनल पार्टी? गुजरात में एंट्री से AAP को मिलेंगे ये फायदे
कहा जा रहा है कि देश में आप अब कांग्रेस की जगह लेती जा रही है। वहीं, केंद्र समेत कई राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा के सामने भी आप और कांग्रेस जैसी दो राष्ट्रीय चुनौतियां पेश हो सकती हैं।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने 10 साल पहले सियासी मैदान में एंट्री की थी। पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को बगैर राजनीतिक समझ का माना गया। तब तक वह टैक्स अधिकारी, आरटीआई कार्यकर्ता और अन्ना हजारे के साथ रह चुके थे, लेकिन अब वह राष्ट्रीय स्तर का सफर सफलतापूर्वक तय करने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस दौरान देश में दो चीजें हुईं। पहला भारतीय जनता पार्टी का उदय और कांग्रेस की गिरावट और इन दोनों राजनीतिक घटनाओं के तार आप से जोड़े गए।
कैसे बनती है राष्ट्रीय पार्टी?
किसी भी राष्ट्रीय दल को लोकसभा में कम से कम तीन राज्यों से दो फीसदी सीटें हासिल करनी होती हैं। हालांकि, आप के पास लोकसभा सांसद नहीं हैं, लेकिन राज्यसभा में राघव चड्ढा और संजय सिंह मौजूद हैं। इसके बाद पार्टी को चार राज्यों में प्रदेश स्तर की पार्टी का दर्जा हासिल करना होता है। इसके लिए दल को विधानसभा चुनाव में 6 प्रतिशत वोट/2 सीटें हासिल करनी पड़ती हैं। अगर पार्टी का वोट शेयर 3 फीसदी से कम है, तो तीन सीटें जरूरी हैं।
AAP कैसे बन रही है नेशनल पार्टी?
दिल्ली और पंजाब में आप की सरकार हैं। वहीं, गोवा में पार्टी 6 प्रतिशत वोट/2 सीटें का काम पूरा कर लिया। वहीं, दल अब गुजरात में भी प्रदेश स्तर की पार्टी बनने की तैयारी में है। फिलहाल, इस ग्रुप में भाजपा, कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, सीपीएम और बहुजन समाज पार्टी है।
हालांकि, एनसीपी, टीएमसी, सीपीआई और बसपा से राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता छिन सकती है। निर्वाचन आयोग ने एनसीपी, सीपीआई और टीएमसी को नोटिस जारी किए हैं। इन दलों से पूछा गया है कि मान्यता क्यों वापस नहीं ली जानी चाहिए।
AAP को मिलेंगे क्या फायदे?
राष्ट्रीय दलों आम चुनावों के दौरान आकाशाणी पर ब्रॉडकास्ट और टेलीकास्ट बेंड्स मिलते हैं। ऐसे दल 40 स्टार प्रचारक तक शामिल कर सकते हैं, जिनकी यात्रा का खर्च उम्मीदवारों के खाते में नहीं जाएगा। राष्ट्रीय दलों को पार्टी मुख्यालय बनाने के लिए सरकार की तरफ से जमीन मिलती है।
सियासी तौर पर क्या बदलेगा?
कहा जा रहा है कि देश में आप अब कांग्रेस की जगह लेती जा रही है। वहीं, केंद्र समेत कई राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा के सामने भी आप और कांग्रेस जैसी दो राष्ट्रीय चुनौतियां पेश हो सकती हैं। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं।