ओडिशा के बालासोर में कैसे हुई थी ट्रेन दुर्घटना, रेल मंत्री ने बताई असली वजह
एक सवाल के जवाब में कहा, "पिछले पांच साल में, इंटरलॉकिंग सिग्नल प्रणाली में खराबी के कारण कोई घटना नहीं हुई है। किसी भी विशेषज्ञ ने रेलवे की इंटरलॉकिंग सिग्नल प्रणाली में कोई खामी नहीं बताई है।"
2 जून को ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रिपल-ट्रेन दुर्घटना को लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को राज्यसभा में अहम जानकारी दी। इस ट्रेन हादसे में 295 यात्रियों की मौत हो गई थी और सैकड़ों अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। रेल मंत्री वैष्णव ने दो जून को ओडिशा के बालासोर में हुई रेल दुर्घटना को लेकर विभिन्न सदस्यों के सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, "सिग्नल सर्किट-ऑल्टरेशन में चूक के कारण और इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के रिप्लेसमेंट से संबंधित सिग्नलिंग कार्य के निष्पादन के दौरान पीछे से टक्कर हुई थी। इन खामियों के कारण ट्रेन संख्या 12841 को गलत सिग्नल दिया गया...।"
कैसे हुई टक्कर, मंत्री ने विस्तार से समझाया
शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस (12841) एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई, जिससे उसके डिब्बे बगल की पटरी पर गिर गए और विपरीत दिशा से आ रही बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट ट्रेन से टकरा गए थे। लिखित जवाब में, वैष्णव ने कहा कि टक्कर पिछले दिनों नॉर्थ सिग्नल गुमटी (स्टेशन के) पर किए गए सिग्नलिंग-सर्किट-परिवर्तन में हुई खामियों के कारण और साथ ही स्टेशन के गेट नंबर 94 के लेवल क्रॉसिंग और इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के बदलाव से संबंधित सिग्नलिंग वर्क के दौरान हुई थी।
उन्होंने आगे बताया, “इन खामियों के परिणामस्वरूप ट्रेन नंबर 12841 को गलत सिग्नल मिला, जिसमें अप होम सिग्नल ने स्टेशन की अप मुख्य लाइन पर रन-थ्रू मूवमेंट के लिए हरे सिग्नल का संकेत दिया लेकिन अप मेन लाइन को अप लूप लाइन (क्रॉसओवर 17 ए/बी) से जोड़ने वाला क्रॉसओवर अप लूप लाइन पर सेट किया गया था। गलत सिग्नलिंग के परिणामस्वरूप ट्रेन नंबर 12841 अप लूप लाइन पर चली गई और आखिर में वहां खड़ी मालगाड़ी (नंबर एन/डीडीआईपी) से पीछे से टकरा गई।"
इंटरलॉकिंग सिग्नल प्रणाली में कोई खामी नहीं
मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा, "पिछले पांच साल में, इंटरलॉकिंग सिग्नल प्रणाली में खराबी के कारण कोई घटना नहीं हुई है... किसी भी विशेषज्ञ ने रेलवे की इंटरलॉकिंग सिग्नल प्रणाली में कोई खामी नहीं बताई है।" उन्होंने एक अलग प्रश्न के उत्तर में कहा, "पिछले पांच साल में, सिग्नलिंग विफलताओं की कुल संख्या 13 है।" उन्होंने सदन को सूचित किया कि बालासोर दुर्घटना में मारे गए 41 लोगों के अवशेषों की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है।
उन्होंने कहा कि अज्ञात यात्रियों के शव एम्स, भुवनेश्वर में चिकित्सकीय रूप से निर्धारित तरीके से रखा गए हैं और उनके डीएनए नमूने लिए गए हैं। वैष्णव ने बताया कि 16 जुलाई तक, प्रत्येक मृतक के परिजनों को 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 2-2 लाख रुपये और मामूली चोट पर प्रत्येक यात्री को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि के रूप में 29.49 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा कि 13 जुलाई तक रेलवे दावा न्यायाधिकरण की विभिन्न पीठों में 258 दावे प्राप्त हुए हैं जिनमें से 51 दावों का निपटारा कर दिया गया है।