कांग्रेस की नई संकटमोचक प्रियंका गांधी, हिमाचल प्रदेश फतह से राजीव शुक्ला का कद भी बढ़ेगा
प्रियंका गांधी ने 2019 में कांग्रेस महासचिव बनाए जाने के बाद 2020 में राजस्थान के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को मनाकर गहलोत सरकार का संकट टाला था। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर को भी साधा था।
हिमाचल प्रदेश में चुनाव परिणामों के ऐलान के तीन दिन के भीतर कांग्रेस ने सरकार का गठन कर लिया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने अपनी जिम्मेदारी संभाल ली है। मुख्यमंत्री पद के लिए हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह की दावेदारी के बावजूद प्रियंका गांधी वाड्रा ने बेहद कम समय में सबको साध लिया।
पार्टी के वरिष्ठ नेता के मुताबिक, हिमाचल चुनाव परिणाम घोषित होने के साथ प्रियंका गांधी सक्रिय हो गई थीं। वह लगातार प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला और केंद्रीय पर्यवेक्षकों के संपर्क में थीं। प्रचार के दौरान भी प्रियंका लगातार कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिलीं। इसलिए उन्हें जमीनी हकीकत का अंदाजा था।
यही वजह है कि जीत के बाद विधायकों की राय जानने, नेता चुनने और मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने में पूर्व की तरह कोई देर नहीं लगाई। वहीं, प्रियंका हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को भी भरोसे में लेने में सफल रहीं।
राजस्थान-पंजाब में भी संकट टाला
प्रियंका ने 2019 में कांग्रेस महासचिव बनाए जाने के बाद 2020 में राजस्थान के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को मनाकर गहलोत सरकार का संकट टाला था। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर को भी साधा था। मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी अध्यक्ष बनाने में भी बड़ी भूमिका निभाई।
जीत के बाद राजीव शुक्ला का कद कांग्रेस में बढ़ेगा
हिमाचल प्रदेश चुनाव में जीत दिलाने में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला की भूमिका अहम रही। शुक्ला सभी को साथ लेकर चलने और बेहतरीन चुनाव रणनीति के जरिए भाजपा को शिकस्त देने में सफल रहे। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, इस जीत के बाद शुक्ला का पार्टी में कद बढ़ेगा। उनकी तीन बड़ी रणनीति ने जीत में अहम भूमिका निभाई।
हिमाचल में गुटबाजी खत्म की
कांग्रेस करीब छह दशक बाद पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बिना चुनाव मैदान में थी। ऐसे में शुक्ला ने सबसे पहले गुटबाजी को खत्म किया। चुनाव के लिए जमीन तैयार करते हुए कुलदीप सिंह राठौर के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। वहीं, सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुनाव प्रचार समिति की कमान सौंपी। वरिष्ठ नेताओं को अहम जिम्मेदारी दी।
क्षेत्रवार रणनीति
शुक्ला को करीब दो साल पहले प्रदेश प्रभारी बनाया गया था। इसके बाद वह लगातार दौरा कर कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिलकर रणनीति बनाते रहे। वर्ष 2021 में हुए मंडी लोकसभा और तीन विधानसभा सीट पर पार्टी ने जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने क्षेत्रवार रणनीति बनाई। इससे चुनाव प्रचार में पार्टी एकजुट नजर आई। सभी नेता अपनी अपनी भूमिका निभाई।
समस्याएं सुलझाईं
भाजपा के शीर्ष नेताओं के चुनाव प्रचार का जवाब देने के लिए पार्टी महासचिव प्रियंका ने ज्यादा से ज्यादा प्रचार किया। इससे पार्टी के पक्ष में मौहाल बना। इसके साथ राजीव शुक्ला लगातार वार रूम के जरिए हर क्षेत्र की रिपोर्ट लेते रहे। किसी भी क्षेत्र में कोई समस्या होती, तो फौरन उसका हल निकाला जाता। पार्टी नेताओं के साथ तालमेल बैठाया और चुनाव कौशल के जरिए कांग्रेस को जीत दिलाई।
आगे क्या...
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भविष्य में शुक्ला को कुछ और अहम जिम्मेदारियां सौपी जा सकती हैं। माना जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी नई टीम में उन्हें महासचिव नियुक्त कर सकते हैं। अभी वह कांग्रेस संचालन समिति के सदस्य और हिमाचल कांग्रेस के प्रभारी हैं। उन्हें किसी दूसरे बड़े प्रदेश की भी जिम्मेदारी दी जा सकती है।