कर्नाटक में भाजपा-कांग्रेस दोनों के आगे बड़ी चुनौती, गुजरात और हिमाचल ने दिया संदेश
हिमाचल और गुजरात के विधानसभा चुनाव ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही संदेश दे दिया है कि कर्नाटक में चुनौतियां हैं। भाजपा के आगे सबसे बड़ी चुनौती बागियों की है वहीं कांग्रेस में आंतरिक कलह।

गुजरात और हिमाचल प्रदेश खी जनता ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही खुश कर दिया है। गुजरात में भाजपा ने 156 सीटें जीत लीं तो वहीं कांग्रेस 77 से खिसककर 17 पर आ गई। बात करें हिमाचल प्रदेश की तो यहां कांग्रेस जीत भले ही गई लेकिन दोनों के ही बीच वोट शेयर में 1 फीसदी का भी कम अंतर रहा। ऐसे में ये दोनों ही विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही आगे के लिए चेतावनी दे रहे हैं। 2023 में कर्नाटक में विधानसभा का चुनाव होना है। यहां मौजूदा भाजपा सरकार भी विद्रोहियों से जूझ रही है। ऐसे में कर्नाटक का रास्ता भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही लिए आसान नहीं है। वहीं गुजरात और हिमाचल के चुनाव दोनों को आगाह करने के लिए काफी हैं।
कर्नाटक की बात करें तो यह राज्य कई मामलों में गुजरात के समान ही है। यहां की जनसंख्या, औद्योगीकरण, संस्कृति मुद्दे ज्यादातर बातें गुजरात जैसी हैं। लेकिन इसक मतलब यह नहीं है कि चुनाव के दौरान कर्नाटक का माहौल गुजरात जैसा ही बनेगा। गुजरात में भाजपा ने सातवीं बार जीत दर्ज की है। लेकिन इसके पीछे बड़ी वजह ब्रैंड मोदी हैं। जिस तरह से गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी जनता को कनेक्ट कर रहे थे, उस तरह से कर्नाटक में मुश्किल होगा क्योंकि गुजरात उनका गृह राज्य था।
चुनाव परिणाम के बाद कर्नाटक के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा था कि गुजरात के चुनाव का कर्नाटक पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि 2012 मेंभी गुजरात में भाजपा ने जीत दर्ज की थी लेकिन इसका कोई असर कर्नाटक के चुनाव पर 2013 में नहीं पड़ा था। वहीं मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा था कि गुजरात और हिमाचल में मिला जन समर्थन कर्नाटक में भी काम करेगा और भाजपा सरकार की वापसी होगी। कुछ दिनों से पीएम मोदी और अमित शाह भी कर्नाटक को प्राथमिकता दे रहे हैं।
भाजपा के आगे क्या चुनौती
भाजपा की बात करें तो उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती बागियों की है। कर्नाटक में पार्टी के अंदर असंतोष देखा गया है जिसके चलते यहां भाजपा के लिए मुश्किल हो सकती है। हिमाचल प्रदेश में भाजपा की हार की सबसे बड़ी वजह बागी ही बने। इतने कम अंतरों से भाजपा के प्रत्याशी हारे हैं कि कहा जा सकता है कि अगर बागियों को जाने वाले वोट भाजपा को मिल जाते तो जीत बहुत ही आसान हो जाती। इसी तरह की चुनौती का सामना भाजपा बल्लारी, बेलगावी और शिवमोगा में कर रही है।
कांग्रेस के सामने क्या है चुनौती
कांग्रेस पार्टी भी आंतरिक कलह से परेशान है। अगर इस बार चुनाव में कांग्रेस सही उम्मीदवारों का चयन नहीं करती तो उसके हाथ से मौका निकल जाएगा। वहीं कर्नाटक में बहुमत मिलना बहुत कठिन होता है। ऐसे में जोड़-तोड़ में आगे भाजपा बाजी मार सकती है। वहीं गुजरात चुनाव पहले से ही कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी भी कर्नाटक चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है। गुजरात से साफ है कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस के ही वोटों में सेंध लगात है।
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