गुजरात चुनाव: जब BJP की एंट्री से कांग्रेस के गणित बिगड़े, 32 साल पहले दोनों ही दल पिछड़े
1990 के चुनाव में जनता दल 70 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जबकि, कांग्रेस 33 सीटें लेकर तीसरे नंबर पर पहुंची और भाजपा 34 फीसदी वोट शेयर के साथ 67 सीटें हासिल कर दूसरे स्थान पर पहुंच गई थी।
भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी। गुजरात विधानसभा चुनाव में ये तीन पार्टियां नजर आ रही हैं। भाजपा और कांग्रेस के बीच होने वाला मुकाबला अब आप की एंट्री से त्रिकोणीय होता नजर आ रहा है। लेकिन भारत के इस पश्चिमी राज्य के चुनावी इतिहास में ऐसा मौका कभी नहीं आया, जब तीसरे दल की पैठ बनी हो। राज्य के अधिकांश विधानसभा चुनाव में एक ही पार्टी बड़ी जीत हासिल करती रही है।
समझते हैं आंकड़े
साल 1962 से 1985 के बीच अगर साल 1975 को छोड़ दिया जाए, तो कांग्रेस एकमात्र बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है। वहीं, साल 1980 में तस्वीर में आने वाली भाजपा ने 5 साल बाद ही अपनी बड़ी मौजूदगी दर्ज करा दी थी, जो दो दशक बाद भी बनी हुई है। साल 1962 से लेकर अब तक हुए चुनावों में गुजरात की जनता ने 1990 और 1975 को छोड़कर एक ही पार्टी को बहुमत दिया है।
भाजपा से पहले गुजरात
साल 1962 में सी राजगोपालचारी की स्वतंत्रता पार्टी दूसरी सबसे पार्टी बनी थी। उस दौरान दल ने 35.31 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 26 सीटें हासिल की। साल 1967 में पार्टी को 43.25 फीसदी शेयर के साथ 66 सीटें मिली और दल दूसरे नंबर पर रहा। बाद में पार्टी का भारतीय लोक दल में विलय हो गया। हितेंद्र देसाई के नेतृत्व में कांग्रेस को 1972 में 16 सीटें मिली। पार्टी ने 1975 में 56 सीटें अपने नाम की।
भाजपा की एंट्री
1980 के विधानसभा चुनाव के दौरान जनता पार्टी को 21 सीटें मिली थीं। उस चुनाव में भाजपा 20 फीसदी वोट के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। अगले चुनाव यानी 1985 में कांग्रेस और जनता पार्टी के बाद भाजपा तीसरे स्थान पर रही, लेकिन उसका वोटर शेयर बढ़कर 21 फीसदी के पार चला गया। उस दरौन कांग्रेस रिकॉर्ड 149 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन 1990 के चुनाव तक स्थिति बदलती दिखी।
जब कांग्रेस और भाजपा दोनों पिछड़े
साल 1990 के चुनाव में जनता दल 70 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जबकि, कांग्रेस 33 सीटें लेकर तीसरे नंबर पर पहुंची और भाजपा 34 फीसदी वोट शेयर के साथ 67 सीटें हासिल कर दूसरे स्थान पर पहुंच गई थी।
अब 2022 चुनाव क्यों जरूरी
गुजरात की राजनीति में करीब तीन दशकों से भाजपा का शासन है। 1990 से सत्ता से बाहर रही कांग्रेस अब तक दूसरा सबसे बड़ा दल रही है। कहा जा रहा है कि गुजरात के चुनावी इतिहास में कई बार भाजपा और कांग्रेस के बीच जगह बनाने की कोशिशें की गई, लेकिन इन सभी के प्रयासों में आप को सबसे आक्रामक माना जा रहा है। आप गुजरात में भाजपा की बड़ी चुनौती बनती दिख रही है। दिल्ली और पंजाब में पार्टी पहले ही कांग्रेस से सत्ता छीन चुकी है।
पहले असफल हुई आप
साल 2017 विधानसभा चुनाव में कोशिशें करने वाली आप करीब 30 उम्मीदवारों के साथ मैदान में थी, लेकिन खाता खोलने में भी असफल रही थी। हालांकि, निकाय चुनाव में पार्टी ने जीत का स्वाद चखा था।