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खुद रहते हैं चुप, पर सफलता मचा रही शोर, कैसे गुजरात में भूपेंद्र ने किया कमाल; इनसाइड स्टेारी

बीजेपी ने यह भी साफ कर दिया कि पार्टी का भूपेंद्र पटेल पर भरोसा आगे भी कायम रहने वाला है। राज्य इकाई के प्रमुख सीआर पाटिल ने कहा, ''भूपेंद्र पटेल राज्य के मुख्यमंत्री बने रहेंगे।''

Madan Tiwari सुनेत्रा चौधरी, हिन्दुस्तान टाइम्स, नई दिल्लीFri, 9 Dec 2022 03:41 PM
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Gujarat Election Result: पिछले साल सितंबर 2021 में जब 60 वर्षीय भूपेंद्र पटेल को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में विजय रुपाणी की जगह लेने के लिए चुना गया था, तो राज्य के बाहर के ज्यादातर लोगों ने एक बार के विधायक के बारे में ज्यादा नहीं सुना था। यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लोग भी उन्हें केवल पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल के करीबी सहयोगी के रूप में जानते थे। जब उन्हें (आनंदीबेन पटेल) 2016 के पाटीदार आंदोलन के बाद हटा दिया गया था, तब उन्होंने अहमदाबाद में घाटलोडिया सीट पर उनकी जगह लेने के लिए एक साधारण से व्यक्ति को चुना था।

भूपेंद्र पटेल के मुख्यमंत्री बनने के एक साल से कुछ अधिक बाद हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। बीजेपी ने एंटी इनकमबेंसी को दूर करते हुए यह जीत दर्ज की है। पार्टी ने चुनाव के लिए मंत्रियों तक के टिकटों को काट दिया। इसके अलावा, कई दिग्गज नेताओं को भी उम्मीदवार नहीं बनाया। गुजरात में मिली इस जीत के बाद एक बार फिर से भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं। चुनाव में उन्होंने भी 212,480 वोटों से जीत दर्ज की, जिसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। इसका जिक्र पीएम मोदी ने अपनी स्पीच में भी किया।

गुजरात में बीजेपी के रिकॉर्ड जीत दर्ज करने के बाद दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मैंने प्रचार के दौरान कहा था कि नरेंद्र मोदी का रिकॉर्ड तोड़ना है, भूपेंद्र नरेंद्र का रिकॉर्ड तोड़ेंगे और इसके लिए नरेंद्र पूरे दिल और आत्मा से काम करेंगे।" उन्होंने कहा, ''आज, भूपेंद्र भाई पटेल ने 2 लाख से अधिक मतों से अपनी सीट जीती; यह अभूतपूर्व है, एक विधानसभा सीट को दो लाख वोटों से जीतना कुछ ऐसा है जो लोकसभा सीटों में भी अधिकांश नहीं होता है।'' 

असाधारण है भूपेंद्र पटेल की फैसला लेने की शक्ति
बीजेपी के एक पदाधिकारी मुकेश दीक्षित ने कहा, "वह बहुत सरल दिखते हैं, लेकिन उनकी निर्णय लेने की शक्ति असाधारण है।" उन्होंने कहा, ''भूपेंद्र पटेल की लो वर्किंग स्टाइल और एबिलिटी की वजह से बीजेपी को एंटी-इनकमबेंसी को खत्म करने में चुनाव में मदद की। वहीं, पार्टी ने कई नए चेहरों को भी चुनाव में मौका दिया, जिससे फायदा मिला।'' बीजेपी के एक पदाधिकारी मुकेश दीक्षित ने कहा, "वह बहुत सरल दिखते हैं, लेकिन उनके फैसले लेने की शक्ति असाधारण है।" उन्होंने कहा, "सिर्फ एक साल में, उन्होंने बिना किसी प्रचार के बहुत सारी समस्याओं को हल किया।" उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे उन्होंने बिल्डरों के सामने आने वाली कई बाधाओं और पीएम-आवास योजना के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन के मुद्दों को हल किया।

भूपेंद्र पटेल ही रहेंगे अगले मुख्यमंत्री
बीजेपी ने यह भी साफ कर दिया कि पार्टी का भूपेंद्र पटेल पर भरोसा आगे भी कायम रहने वाला है। राज्य इकाई के प्रमुख सीआर पाटिल ने कहा, "भूपेंद्र पटेल राज्य के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और उनका शपथ ग्रहण समारोह 12 दिसंबर को होगा।" पिछले साल बीजेपी द्वारा किए गए परिवर्तनों ने यह सुनिश्चित किया कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान उपजा स्थानीय असंतोष बेअसर हो जाए। इसके अलावा, भूपेंद्र पटेल की कार्यशैली ने भी पार्टी के लिए कोई नया विवाद खड़ा नहीं किया। राज्य के कई शीर्ष बीजेपी नेताओं ने टिकट की घोषणा से पहले सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वे टिकट की दौड़ में नहीं हैं। पूर्व सीएम रुपाणी और नितिन पटेल जैसे लोगों ने बयान दिया कि वे चुनाव से बाहर हो रहे हैं और पार्टी ने युवा पीढ़ी के लिए रास्ता बनाने के लिए उनकी सराहना भी की।

कई लोगों को पीएम मोदी ने खुद किया फोन
पार्टी से जुड़े सूत्रों ने कहा कि उनमें से कई को पीएम मोदी सहित शीर्ष नेतृत्व से व्यक्तिगत फोन आए, जिसमें उन्होंने नए उम्मीदवारों के लिए रास्ता बनाने को कहा था। इसकी वजह से दिग्गजों को उसे स्वीकार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। वहीं, निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देने का कोई सवाल नहीं था। मामले की जानकारी रखने वाले शख्स के मुताबिक, बीजेपी की लिस्ट सार्वजनिक होने के कुछ दिन पहले ही इस फैसले की जानकारी दे दी गई थी। नेता ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा, "अगर यही रणनीति हिमाचल प्रदेश में अपनाई गई होती, तो हम वहां 22 बागियों को दौड़ में नहीं देखते।''

काफी कठोर था मंत्रिपरिषद को बदलना
पूरे मंत्रिपरिषद को बदलने का कदम, उस समय काफी कठोर गया था। यह केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सत्ता विरोधी लहर से छुटकारा पाने के लिए जरूरी समझा गया। भारतीय शिक्षक शिक्षा संस्थान के कुलपति डॉ. हर्षद पटेल, जिन्होंने राज्य सरकार में भी काम किया है, ने कहा, "बीजेपी के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जीतने के लिए क्या जरूरी है।" उन्होंने आगे कहा, ''यह मायने नहीं रखता है कि कौन कब से है या कितना ताकतवर है। वे वही करते हैं, जिसे समझते हैं कि वह होना चाहिए।'' वहीं, भूपेंद्र पटेल ने भी जीत का श्रेय केंद्रीय नेतृत्व को दिया। उन्होंने कहा कि गुजरात के लोगों ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के नेतृत्व पर भरोसा जताया है। अगर गुजरात की जनता ने बीजेपी को चुना है, तो हमें उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना होगा।

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