गुजरात और हिमाचल के नतीजे किस तरह तय करेंगे 2024 की तस्वीर, BJP के लिए कितनी बड़ी परीक्षा
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की नजरें गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव नतीजों पर हैं। सियासत के जानकार बताते हैं कि दोनों राज्यों के चुनाव 2024 की सियासी तस्वीर खींचने का काम करेंगे।
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की नजरें गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव नतीजों पर हैं। सियासत के जानकार बताते हैं कि दोनों राज्यों के चुनाव 2024 की सियासी तस्वीर खींचने का काम करेंगे। यदि एक्जिट पोल के अनुमान सही होते हैं तो गुजरात में भाजपा की जीत उसको भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के अलावा एकमात्र पार्टी बना देगी जिसने लगातार सात विधानसभा चुनाव जीते हैं। मालूम हो कि वर्ष 1977 से 2011 तक 34 वर्षों तक पश्चिम बंगाल पर शासन करने वाली माकपा ने भी लगातार सात चुनाव जीते थे।
दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद से किसी दल ने लगातार दो विधानसभा चुनाव नहीं जीते हैं। यदि हिमाचल प्रदेश में भी भाजपा सत्ता में आती है, तो यह भी एक बड़ा रिकॉर्ड होगा। इससे भाजपा के खेमें में तगड़ा उत्साह होगा और वह आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पूरी ताकत से जुट जाएगी। यही कारण है कि भाजपा की सबसे बड़ी इच्छा एक्जिट पोल के पूर्वानुमानों को सच होते देखना है। भाजपा उत्तर प्रदेश की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में सत्ता को बरकरार रखते हुए गुजरात में अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन दर्ज करना चाहती है।
यदि पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो पाते हैं कि गुजरात में भाजपा का पिछला सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2002 में हुआ था। तब उसने 182 सदस्यीय विधानसभा में 127 सीट पर जीत दर्ज की थी। इस बार एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों में भाजपा को गुजरात में 117 से 151 के बीच सीटें मिलने का अनुमान जतलाया गया है। यदि ये अनुमान इन भविष्यवाणियों के औसत के अनुरूप में भी आते हैं, तो भाजपा 2002 के अपने ही रिकॉर्ड को ध्वस्त कर देगी।
गुजरात में भाजपा के लिए 'सोने पर सुहागा' तब होगा जब पार्टी के सीट की संख्या एग्जिट पोल की भविष्यवाणी की ऊपरी सीमा को छू ले। यानी भाजपा यदि 149 सीटों के अब तक के रिकॉर्ड को पार कर ले, तो यह उसके मनोबल के लिए बूस्टर डोज साबित होगा। कांग्रेस ने 1985 में माधवसिंह सोलंकी के नेतृत्व में इतनी सीटों पर जीत दर्ज की थी।
नई दिल्ली स्थित 'सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज' (सीएसडीएस) में लोकनीति के सह-निदेशक संजय कुमार कहते हैं कि भाजपा अगर गुजरात में बड़ी जीत हासिल करती है और हिमाचल प्रदेश में बहुमत पा जाती है, तो इस तरह के नतीजे से उसका मनोबल बढ़ेगा। दोनों राज्यों में भाजपा की जीत उसके नेताओं और कार्यकर्ताओं के उत्साह में बूस्टर साबित होगी। दोनों राज्यों में जीत से भाजपा के कैडर में संदेश जाएगा कि पार्टी साल 2024 में भी लोकसभा चुनाव जीतने की राह पर है।
वहीं दिल्ली के जीसस एंड मैरी कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग की प्रोफेसर सुशीला रामास्वामी का कहना है कि दोनों राज्यों में जीत दर्ज करने से पार्टी अपनी 2024 की योजना के बारे में अधिक आश्वस्त महसूस करेगी। हालांकि एग्जिट पोल के गलत होने की संभावनाएं भी बराबर रहती हैं। दोनों सूबों में बढ़ती महंगाई, रोजगार, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों से लोगों की नाराजगी बढ़ने की आशंकाएं थीं। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों नाराजगी को देखते हुए, अंतिम परिणाम एग्जिट पोल के पूर्वानुमान ध्वस्त भी हो सकते हैं।
सबसे खराब परिणाम यह भी हो सकता है कि भाजपा हिमाचल प्रदेश हार जाती है और उसकी गुजरात में जीत उतनी ही मामूली रहती है जितनी पिछले चुनाव में थी। गुजरात में पिछले चुनाव में भाजपा ने मात्र 99 सीटें जीती थी।
हालांकि कुमार और रामास्वामी दोनों विश्लेषकों का मानना है कि व्यवहार्य राष्ट्रीय विकल्प के अभाव में परिणामों का राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा के लिए कोई गंभीर परिणाम नहीं होगा। हालांकि यदि भाजपा दोनों विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है, तो यह निश्चित रूप से विपक्ष को जश्न का मौका देगा। हालांकि इसके बहुत अधिक राष्ट्रीय निहितार्थ नहीं होंगे। वहीं रामास्वामी ने भाजपा को किसी भी तरह से आत्ममुग्ध होने के प्रति आगाह करते हुए कहा कि आम चुनाव अभी बहुत दूर है और राजनीति में जमीनी हकीकत बदलती रहती है।