गुलाम नबी के जाने से कांग्रेस को कितना घाटा, आजाद का कुछ नहीं जाता; समझिए कैसे
सीनियर लीडर गुलाम नबी आजाद के एग्जिट के बाद कुछ और नेताओं ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के 6 पूर्व विधायकों और पूर्व मंत्री आरएस छिब ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किलों का दौर खत्म होता नहीं दिख रहा है। एक तरफ पार्टी अध्यक्ष का चुनाव ही नहीं करा पा रही तो वहीं बड़े-बड़े नेता उसका साथ छोड़कर जा रहे हैं। खासतौर पर भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत से पहले गुलाम नबी आजाद के एग्जिट ने कांग्रेस की चिंताएं बढ़ा दी हैं। 51 साल पुराने रिश्ते को खत्म करते हुए गुलाम नबी आजाद ने 5 पन्नों का लंबा खत सोनिया गांधी को लिखा और पार्टी में चापलूस दरबारियों के हावी होने का आरोप लगाया। वह सीधे राहुल गांधी पर बरसे और कहा कि उनकी राजनीति में एंट्री के बाद से ही कांग्रेस की सारी व्यवस्था ध्वस्त हो गई, जो दशकों में तैयार हुई थी।
यही नहीं गुलाम नबी आजाद के एग्जिट के बाद कुछ और नेताओं ने भी कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के 6 पूर्व विधायकों और पूर्व मंत्री आरएस छिब ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस पूरे घटनाक्रम पर भले ही कांग्रेस के नेता भड़के हुए हैं, लेकिन इससे झटका तो पार्टी को लगा ही है। खासतौर पर जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य में पार्टी ने अपने एक कद्दावर नेता को खो दिया है, जहां अगले साल चुनाव होने की चर्चा है। यहां कांग्रेस के पास कोई और चेहरा नहीं है। साफ है कि इस पूरी कवायद से कांग्रेस को ही घाटा हुआ है, जबकि गुलाम नबी आजाद के राजनीतिक वजूद पर खास असर नहीं पड़ता दिख रहा। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा की सीट न देने के बाद जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस में ही कुछ पद दिए थे।
क्यों पार्टी के लिए टेंशन की बात है आजाद का एग्जिट
इसे गुलाम नबी आजाद अपने डिमोशन के तौर पर ही देख रहे थे। ऐसे में उनके पार्टी से इस्तीफा देने का अर्थ है कि वह कुछ खोने की स्थिति में ही नहीं थे क्योंकि कांग्रेस उन्हें कुछ देने के मूड में भी नहीं थी। लेकिन उनके एग्जिट ने कांग्रेस को झटका जरूर दे दिया है। एक ऐसे वक्त में उन्होंने पार्टी छोड़ी है, जब कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा की प्लानिंग कर रही है। उनके जैसे नेता का कांग्रेस से निकलना परसेप्शन के मामले में भी पार्टी को कमजोर करता है। इसके अलावा गुलाम नबी आजाद का अपनी अलग पार्टी बनाना भी कांग्रेस के लिए चिंता की बात है। कई नेताओं का उनके समर्थन में कांग्रेस छोड़ना इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में कांग्रेस का ही एक धड़ा साथ लेकर गुलाम नबी आजाद उसे सिर दर्द दे सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को अभी और झटका देंगे गुलाम नबी आजाद?
गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर के सीएम रह चुके हैं। उनका कश्मीर के अलावा जम्मू में भी एक सियासी रसूख रहा है और हर वर्ग के लोग उन्हें पसंद करते रहे हैं। ऐसे में गुलाम नबी आजाद यदि नया दल बनाकर चुनौती देते हैं तो सीधे तौर पर कांग्रेस के ही वोट काटेंगे। इस तरह गुलाम नबी आजाद आगे भी कांग्रेस के लिए एक सिरदर्द जम्मूकश्मीर में बनने वाले हैं।