मिलॉर्ड...हमसे हो रहा भेदभाव, नहीं मिल रहा मानदेय; विदेश से MBBS कर आए छात्रों की अर्जी पर SC ने क्या कहा
Supreme Court News: याचिका में कहा गया है, ‘‘एनएमसी के चार मार्च, 2022 और 19 मई, 2022 के परिपत्र के अनुसार स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया है कि भारतीय चिकित्सा स्नातकों के समान मानदेय दिया जाना चाहिए
उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान के आठ चिकित्सा कॉलेज और नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया संस्थान के विदेशी छात्रों द्वारा दायर उन याचिकाओं पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) से जवाब मांगा, जिसमें अन्य भारतीय चिकित्सा स्नातकों की तरह इंटर्नशिप के लिए उन्हें भी मानदेय देने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने जसवंत सिंह और अन्य की याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता तन्वी दुबे ने दलील दी कि मानदेय का भुगतान न करना उनके मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि यदि कई अन्य कॉलेज विदेशी मेडिकल स्नातकों को मानदेय दे रहे हैं, तो इस भेदभाव का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान याचिका विदेशी मेडिकल स्नातकों द्वारा दायर की गई है, जो वर्तमान में राजस्थान के सिरोही, अलवर, दौसा और चित्तौड़गढ़ समेत विभिन्न सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इंटर्नशिप कर रहे हैं।
अधिवक्ता चारु माथुर द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘एनएमसी के चार मार्च, 2022 और 19 मई, 2022 के परिपत्र के अनुसार स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया है कि भारतीय चिकित्सा स्नातकों के समान मानदेय प्रदान किया जाना चाहिए।’’
याचिका में कहा गया है, ‘‘छात्रों को पहले यह अनुमान था कि उन्हें नियमों के अनुसार उनकी इंटर्नशिप की अवधि के लिए मानदेय दिया जाएगा। उन्हें यह जानकर हालांकि आश्चर्य हुआ कि जब वे इंटर्नशिप करने लगे तो उन्हें एक हलफनामे के जरिये यह वचन देने के लिए मजबूर किया गया कि इंटर्नशिप बिना किसी मानदेय के होगी।’’