Employment News: ज्यादा पढ़े-लिखे लोग कम योग्यता वाली नौकरी के लिए दे सकते हैं आवेदन? क्या बोला हाईकोर्ट
Employment News: बेंच ने हैरानी जाहिर की कि इंटरमीडिएट में पास हुए बगैर डिग्री तक कैसे पहुंच गईं। इसपर वकील ने कहा कि उन्होंने डिस्टेंस लर्निंग शुरू की और ग्रेजुएट कोर्स के लिए आवेदन दिया था।
Employment News: रोजगार और बेरोजगारी की चर्चाओं के बीच तेलंगाना उच्च न्यायालय में एक बड़ा दिलचस्प सवाल उठा। अगर एडवरटाइजमेंट में बताई गई जरूरी योग्यता से ज्यादा कोई उम्मीदवार पढ़ा-लिखा है, तो क्या उसे नौकरी के लिए आवेदन करने से रोका जा सकता है? एक याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने इस बात पर भी चर्चा की।
क्या था मामला?
दरअसल, उच्च न्यायालय में एक महिला ने याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने जिला कोर्ट में अटेंडर की नौकरी के लिए आवेदन दिया था। अब इस नौकरी के लिए 10वीं कक्षा तक शिक्षा की जरूरत थी, लेकिन डिग्री और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में बैठने के चलते उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया ही नहीं गया।
याचिका में कहा गया है कि उम्मीदवारों से ओरिजिनल सर्टिफिकेट मांगने वाले अधिकारी ने उनसे संपर्क ही नहीं किया। हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे और जस्टिस एनवी श्रवण कुमार इसकी सुनवाई कर रही थी। जिला अदालतों और हाईकोर्ट के स्थायी वकील स्वरूप ओरिला का कहना है कि उम्मीदवारों को कम से कम 7वीं क्लास और ज्यादा से ज्यादा 10वीं तक स्कूली शिक्षा की जरूरत थी।
उन्होंने कहा, 'चूंकि यह पद अटेंडर का है। ऐसे में ज्यादा योग्यता वालों को काम पूरे करने में मुश्किल होगी या अधिकारियों को भी उनसे काम कराने में परेशानी हो सकती है। इसके पीछे व्यावहारिक सोच है।'
हालांकि, बेंच का कहना था कि इस आधार पर किसी उम्मीदवार को मना करना ठीक नहीं है। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए कोपुला श्रणण कुमार ने कहा कि यह मामला अलग है, क्योंकि याचिकाकर्ता ने 10वीं कक्षा से ज्यादा शिक्षा हासिल नहीं की है। उन्होंने कहा, 'वह इंटरमीडिएट और डिग्री की परीक्षाओं में थीं, लेकिन पास नहीं हो सकीं।'
इसपर बेंच ने हैरानी जाहिर की कि इंटरमीडिएट में पास हुए बगैर डिग्री तक कैसे पहुंच गईं। इसपर वकील ने कहा कि उन्होंने डिस्टेंस लर्निंग शुरू की और ग्रेजुएट कोर्स के लिए आवेदन दिया था। वकील ने कहा, 'ऐसे में उनकी मौजूदा शैक्षणिक योग्यता 10वीं क्लास है और इससे ज्यादा नहीं है। वह पद के लिए पात्र हैं।'
कोर्ट ने अधिकारियों को आदेश दिया कि महिला को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाए, लेकिन नतीजे जारी न किए जाएं। साथ ही कोर्ट ने इस नियम की जांच करने की बात भी कही है।