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विरासत टैक्स लगाया तो ठहर जाएगी अर्थव्यवस्था, अमेरिका में ऐसा कुछ भी नहीं; कांग्रेस के सुझाव पर अर्थशास्त्री

अर्थशास्त्री गौतम सेन का कहना है कि राहुल गांधी का संसाधनों के पुनर्वितरण का फॉर्मूला भारत में काम नहीं करेगा। उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि यह भारत में काम नहीं करेगा।

Surya Prakash एएनआई, नई दिल्लीWed, 8 May 2024 09:23 AM
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सैम पित्रोदा ने पिछले दिनों अमेरिका का हवाला देते हुए विरासत टैक्स की बात कही थी। इसके अलावा संसाधनों के पुनर्वितरण की भी बात कही थी। इसे लेकर पीएम नरेंद्र मोदी समेत पूरी भाजपा ही चुनावी माहौल में हमलावर है। इस बीच अर्थशास्त्री गौतम सेन का कहना है कि राहुल गांधी का संसाधनों के पुनर्वितरण का फॉर्मूला भारत में काम नहीं करेगा। उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, 'यह भारत में काम नहीं करेगा। यहां बड़ी दौलत वाले बहुत कम लोग हैं। इसके बाद जो हैं भी, उन लोगों ने अपनी पूंजी को कारोबार में लगा रखा है। यदि उस पूंजी को सरकार अधिग्रहित करे या फिर 55 फीसदी तक का विरासत टैक्स वसूला जाए तो धंधा ही रुक जाएगा।'

गौतम सेन ने आगे कहा, 'ऐसी स्थिति में कारोबार ही ठहर जाएगा। आपको उनकी संपत्ति के लिए कारोबार ही खत्म कराना होगा।' उन्होंने कहा कि मेरा पॉइंट है कि देश की 0.5 फीसदी आबादी से टैक्स वसूलने के लिए आप बड़े पैमाने पर कारोबारों को नुकसान पहुंचाएंगे और इससे उन गरीब लोगों को ही नुकसान होगा, जो उस पर निर्भर हैं। सेन ने कहा कि बीते 10 सालों में ग्रोथ हुई है और हमने संसाधनों का बेहतर बंटवारा किया है। उनका इशारा लोगों के गरीबी से ऊपर उठने पर था। 

दरअसल अमेरिका में एक कार्यक्रम में सैम पित्रोदा ने कहा था कि यहां विरासत टैक्स लगता है। ऐसी चीज भारत में नहीं है, जिस पर चर्चा हो सकती है। इसे लेकर गौतम सेन ने कहा, 'अमेरिका में कोई विरासत टैक्स नहीं है। वहां एस्टेट ड्यूटी लगती है और गिफ्ट टैक्स है। अमेरिका में 2022 तक मरने वाले लोगों में से महज 0.22 फीसदी के परिजनों ने यह अदा किया था। पूरे अमेरिका में सिर्फ 4000 लोगों पर एस्टेट ड्यूटी लगती है। इसकी वजह यह है कि छूट की लिमिट इतनी ज्यादा है कि कम ही लोग इसके दायरे में आते हैं।'

गौतम सेन बोले- अर्थव्यवस्था मे अराजकता फैल जाएगी

गौतम सेन कहते हैं कि अमेरिका में भी अमीर लोगों ने अपनी ज्यादातर पूंजी ट्रस्ट्स में लगा रखी है। ऐसे में वहां का उदाहरण भारत में देना गलत है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारत के सभी कारोबारों और लोगों का सर्वे कराना भी अव्यवहारिक है। भारत में 2.4 फीसदी से भी कम लोग इनकम टैक्स देते हैं। इस समूह में भी महज 12 लाख लोग ऐसे हैं, जिनके पास बड़ी दौलत है। इन लोगों के पास भी पूंजी घर में नहीं रखी है। ऐसे में उन्हें सरेंडर करने के लिए कहना बिजनेस को ठप कराना होगा। इससे देश में एक अराजकता पैदा हो जाएगी।

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