दिल्ली का किला फतह क्यों नहीं कर सकी बीजेपी? MCD में इन 5 वजहों से मिली हार!
MCD Results 2022: बीजेपी की दिल्ली में हार के पीछे कई वजहें मानी जा रही हैं। एंटी इंकंबेंसी से लेकर दिल्ली बीजेपी में कोई बड़ा चेहरा नहीं होने की वजह से पार्टी को एमसीडी चुनाव में बड़ा झटका लगा है।

MCD Election Result 2022: दिल्ली नगर निगम (MCD)के चुनाव में बीजेपी को आम आदमी पार्टी ने हराकर बहुमत हासिल कर लिया है। बीजेपी एमसीडी में पिछले 15 सालों से सत्ता पर काबिज थी, जबकि आम आदमी पार्टी सरकार की राष्ट्रीय राजधानी में मौजूदगी लगभग नौ सालों से है। अब तक आए परिणामों में कुल 250 वार्डों में आप के 134 उम्मीदवारों को जीत मिल चुकी है, जबकि बीजेपी के 100 से अधिक कैंडिडेट्स जीते हैं। कांग्रेस ने निराशाजनक प्रदर्शन करते हुए नौ सीटें ही जीतीं। बीजेपी की दिल्ली में हार के पीछे कई वजहें मानी जा रही हैं। एंटी इंकंबेंसी से लेकर दिल्ली बीजेपी में कोई बड़ा चेहरा नहीं होने की वजह से पार्टी को एमसीडी चुनाव में बड़ा झटका लगा है। हालांकि, बीजेपी के अब भी कई प्रवक्ता दिल्ली में पार्टी का ही मेयर होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी को बहुमत हासिल हो गया है। हम आपको ऐसी पांच संभावित वजहें बता रहे हैं, जिसकी वजह से बीजेपी की दिल्ली नगर निगम चुनाव में हार हुई।
दिल्ली बीजेपी के पास चेहरे की कमी
राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के पास कई बड़े चेहरे हैं और यही वजह है कि विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक पार्टी एक के बाद एक जीतती जाती है। लेकिन जब दिल्ली से जुड़े चुनावों की बात आती है तो बीजेपी के उस कद का नेता नहीं है, जो जनता के वोट अपनी ओर खींच सके। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता हों, पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी हों या फिर प्रवेश वर्मा। इन नेताओं के मुकाबले जनता पिछले कुछ सालों में अरविंद केजरीवाल पर अधिक भरोसा जताती रही है। यही वजह है कि जनता ने साल 2013, 2015 और फिर 2020 के चुनाव में जितवाकर आप को सरकार बनाने का मौका दिया। चुनावी एक्सपर्ट्स की मानें तो यदि भविष्य में दिल्ली में बीजेपी को वापसी करनी है तो उन्हें दिल्ली में एक ऐसे चेहरे की जरूरत होगी, जो सीधे अरविंद केजरीवाल को टक्कर दे सके।
बीजेपी के लिए गंदगी बन गई जी का जंजाल
एमसीडी चुनाव में कूड़े और गंदगी के मुद्दे ने अहम रोल निभाया। पिछले 15 सालों से एमसीडी पर काबिज बीजेपी को कई जगह कूड़ों और गंदगी के मुद्दों का सामना करना पड़ा। फिर वह कूड़ों के पहाड़ हों या कई इलाकों की गली-मोहल्ले में गंदगी की शिकायत, जनता ने इन दिक्कतों को दूर करने के लिए भी एमसीडी में आम आदमी पार्टी को वोट दिया। हालांकि, चुनावी प्रचार के दौरान बीजेपी ने साफ-सफाई और कूड़े के पहाड़ में कमी आने का दावा जरूर किया, लेकिन एमसीडी चुनाव के परिणामों से साफ दिखाई देता है कि जनता ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।
एंटी इंकंबेंसी बीजेपी को पड़ गई भारी
दिल्ली नगर निगम में पिछले 15 सालों से बीजेपी काबिज रही है। माना जाता है कि जब भी कोई पार्टी लंबे समय तक सरकार में बनी रहती है तो उसके खिलाफ एंटी इंकंबेंसी का खतरा बना रहता है। एमसीडी चुनाव में भी बीजेपी के साथ यही हुआ। जनता ने नगर निगम में बदलाव का मूड बनाया और आम आदमी पार्टी को बहुमत दे दिया। हालांकि, एग्जिट पोल के अनुसार नतीजे नहीं आए, लेकिन आप दिल्ली की छोटी सरकार बनाने में जरूर कामयाब हो गई। एंटी इंकंबेंसी भी उन तमाम वजहों में से एक है, जिसकी वजह से बीजेपी की एमसीडी चुनाव में संभावित हार हुई।
फ्री की पॉलिटिक्स का बीजेपी के पास कोई काट नहीं
आम आदमी पार्टी की फ्री की पॉलिटिक्स हमेशा से ही चर्चा में रही है। फिर चाहे वह मुफ्त में बिजली हो या फिर पानी, इन मुद्दों पर जनता का खुलकर केजरीवाल को समर्थन मिलता रहा है। यही वजह है कि आम आदमी पार्टी जहां भी चुनाव लड़ती है, वह मु्फ्त बिजली समेत कुछ वादे जरूर करती है। गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने यह वादा किया है और एग्जिट पोल की मानें तो इसका कुछ फायदा भी गुजरात में पार्टी को मिल रहा है। एमसीडी के नतीजों को देखकर लगता है कि केजरीवाल की फ्री पॉलिटिक्स का काट बीजेपी के पास अभी तक नहीं है। यही वजह है कि नगर निगम में आम आदमी पार्टी का पलड़ा भारी रहा है।
दिल्ली में लंबे समय से सरकार नहीं होना पड़ा भारी
साल 2014 की मोदी लहर के बाद बीजेपी ने कई राज्यों में अपनी सरकारें बनाईं। दो-दो लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल किया, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का ही ऐसा चुनाव रह गया, जहां हर बार पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। दिल्ली में 1993 से 1998 तक बीजेपी की सरकार रहने के बाद अभी तक पार्टी सरकार नहीं बना सकी है। 1998 से 2013 तक 15 सालों तक कांग्रेस की सरकार रही, जबकि उसके बाद अब तक आम आदमी पार्टी की सरकार है। यह भी एक वजह है कि दिल्ली नगर निगम में बीजेपी को नुकसान झेलना पड़ा, जबकि अपनी तमाम योजनाओं के चलते आम आदमी पार्टी ने नगर निगम चुनाव में जीत दर्ज की।
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