लोकसभा के बाद राज्यसभा में पारित हुआ नगर निगम संशोधन विधेयक, केंद्र को मिलेंगी कई शक्तियां
दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जो लोग मुझे सत्ता का भूखा बता रहे हैं वे पहले आईने में अपने चेहरे को फिर सत्ता का भूखा बताएं।
लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 ध्वनिमत से पारित हो गया है। 30 मार्च को लोकसभा में यह संशोधन विधेयक पारित हो गया था। विधेयक को पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एमसीडी के साथ आम आदमी पार्टी ने सौतेला व्यवहार किया है। तीनों क्षेत्रों में सुचारु रूप से काम करने के लिए एमसीडी का विलय जरूरी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में संसद भवन, प्रधानमंत्री आवास और दूतावास जैसे महत्वपूर्ण स्थान है ऐसे में एमसीडी का सुचारु रूप से काम करना जरूरी है।
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इस कानून को लाने के लिए संवैधानिक क्षमता पर सवाल उठाए गए हैं। हमें सत्ता का भूखा कहने वालों को खुद आईने में अपनी तस्वीर देखनी चाहिए।
क्यों किया गया था एमसीडी का बंटवारा?
अमित शाह ने आरोप लगाया कि 2011 में शीला दीक्षित की सरकार के समय आनन फानन में एमसीडी का बंटवारा कर दिया गया था। बालाकृष्णन कमिटी की रिपोर्ट के बाद दिल्ली नगर निगम में अच्छा प्रशासन और संचालन में सुविधा के विचार से इसके तीन भाग कर दिए गए थे। 2011 में दिल्ली एमसीडी संशोधन विधेयक लाया गया था जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल ने हरी झंडी दी थी।
एमसीडी संशोधन विधेयक 2022 पास होने के बाद क्या बदलेगा?
राज्यसभा से भी यह विधेयक पारित हो गया है। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून में बदल जाएगा। इसके बाद तीनों एमसीडी का विलय करके एक ही नगर निगम बनाया जाएगा। इसके अलावा दिल्ली के पार्षदों को कम करके 272 से 250 तक सीमित कर दिया जाएगा। इस कॉर्पोरेशन को दिल्ली नगर निगम के नाम से जाना जाएगा।
केंद्र सरकार ही फैसला करेगी कि नगर निगम में कितने पार्षद होंगे और कितनी सीटें आरक्षित की जाएंगी। इसके अलावा केंद्र सरकार का सैलरी व अन्य सुविधाओं पर नियंत्रण होगा। नए विधेयक में यह भी कहा गया है कि एमसीडी कमिश्नर सीधे केंद्र सरकार को जवाबदेह होगा। कानून बनने और एमसीडी के विलय के बाद दिल्ली सरकार की भूमिका बहुत सीमित हो जाएगी।
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