धारा 377 पर फैसला : ‘10 साल की घुटन के बाद खुलकर बोल पाया’
समलैंगिकों के लिए 6 सितंबर की तारीख इतिहास में दर्ज हो गई है। मगर, छोटे शहर, गांव में अपनी पहचान छुपाए घुट रहे समलैंगिक लोगों का क्या, वे तो खुलकर सामने भी नहीं आ सकते। पेशे से डिजाइनर अतुल सिंह ने...
समलैंगिकों के लिए 6 सितंबर की तारीख इतिहास में दर्ज हो गई है। मगर, छोटे शहर, गांव में अपनी पहचान छुपाए घुट रहे समलैंगिक लोगों का क्या, वे तो खुलकर सामने भी नहीं आ सकते। पेशे से डिजाइनर अतुल सिंह ने 10 साल की घुटन के बाद दिल्ली में आकर खुद को जाहिर किया।
अतुल बताते हैं कि वह उत्तर प्रदेश के एक गांव में पैदा हुए। जहां उन्हें स्कूल और फिर कॉलेज में लड़के की पहचान के साथ जीना मुश्किल हो रहा था। कॉलेज में लड़के मेरे भीतर की स्त्री को भांप लेते थे। मुझ पर न जाने कितनी टिप्पणियां होती थीं। एक दिन जलजला आया जब मेरे पिता के सामने यह मामला सामने आया। पिता से आखिरी बार दो साल पहले बात हुई थी जब उन्होंने पूछा था कि मैं शादी करूंगा कि नहीं? मैं तो उस घुटन से बाहर आ गया, लेकिन न जाने कितने समलैंगिक हैं जो अपनी पहचान छुपाकर शादी कर लेते हैं। हमें अब समाज में पहचान की जरूरत है।
लड़के ने घर आकर की थी शिकायत
एक लड़के ने मेरे घर आकर शिकायत की थी कि मैंने उसे प्रपोज किया। अतुल कहते हैं कि डैडी ने बुलाकर पूछा तो मैंने सच बता दिया। बस उसी दिन से एक अनकही दीवार हमारे बीच खड़ी हो गई। फिर 2013 में मैं दिल्ली आया और यहां के माहौल ने मुझे तसल्ली दी। ऐसे ही घुटन के एक दिन मैंने अपने दोस्तों के सामने अपनी पहचान खोली। उन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं खुलकर अपनी जिंदगी जियूं। वह कहते हैं कि मैं परिवार वालों से बहुत दूर हो गया हूं। मां है जो सब जानती है और प्यार करती हैं।