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अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे शशि थरूर, खुद किया ऐलान; इनके लिए छोड़ना चाहते हैं जगह

इसके अलावा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शुक्रवार को राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव का ‘मैन ऑफ द मैच’ करार दिया और कहा कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए।

Amit Kumar पीटीआई, नई दिल्लीFri, 7 June 2024 10:16 PM
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शुक्रवार को कहा कि अगर अगला लोकसभा चुनाव पांच साल बाद होता है तो वह खुद को चुनावी मैदान में नहीं देखते, क्योंकि उनका मानना ​​है कि हर किसी को युवाओं के लिए जगह छोड़नी चाहिए। केरल की तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट पर थरूर ने केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर को 16,077 मतों के अंतर से हराकर निर्वाचन क्षेत्र से अपनी लगातार चौथी जीत दर्ज की।

यह पूछे जाने पर कि क्या यह चुनाव उनकी चुनावी राजनीति का आखिरी पड़ाव था, थरूर ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘चुनावी राजनीति नहीं, लेकिन निश्चित रूप से लोकसभा का। मुझे लगता है कि मैंने अपना काम किया है और मैं ईमानदारी से महसूस करता हूं कि किसी मोड़ पर हम सभी को यह महसूस करने की जरूरत है कि युवाओं के लिए जगह छोड़नी है।’’

उनका कहना था, ‘‘लोकसभा निश्चित रूप से एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्था है। मैंने अपने मतदाताओं के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है और मैं ऐसा करना जारी रखूंगा, लेकिन सार्वजनिक जीवन में सेवा करने के कई तरीके हैं...मुझे लगता है कि अगर चुनाव अब से पांच साल बाद होते हैं, तो मैं निश्चित रूप से दोबारा लोकसभा नहीं जाना चाहता हूं।’’ थरूर ने कहा कि अभी सेवा करने के लिए पांच साल हैं और वह इस अविध में उन लोगों के लिए अपना पूरा प्रयास करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं जिनका वह प्रतिनिधित्व करते हैं।

राहुल लोकसभा चुनाव के ‘मैन ऑफ द मैच’,; बनना चाहिए नेता प्रतिपक्ष: थरूर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शुक्रवार को राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव का ‘‘मैन ऑफ द मैच’’ करार दिया और कहा कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए। लोकसभा चुनाव में लगातार चौथी बार तिरुवनंतपुरम से निर्वाचित हुए थरूर ने कहा कि जनादेश का संदेश यह है कि मतदाताओं ने भाजपा के ‘अति अहंकार’’ और उसके ‘मेरी बात मानिये, नहीं तो रास्ता नापिये’ के रवैये को अनुचित ठहराया है।

अगली राजग सरकार को लेकर उनका कहना था, ‘‘यह नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के लिए एक चुनौती होगी, जो अपनी सरकार चलाने में बहुत अधिक सलाह-मशविरा करने के आदी नहीं रहे हैं और मुझे लगता है कि यह उनके काम करने के तरीके को बदलने और सरकार के भीतर अधिक समायोजन करने की उनकी क्षमता की परीक्षा होगी।’’

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